पुरवाई
शुक्रवार, 10 अगस्त 2012

जीवनधर्मी कवि केशव तिवारी की कविताएं

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जीवनधर्मी कवि केशव तिवारी की कविताएं         केशव तिवारी एक ऐसे कवि हैं जिनके रोम - रोम में लोक बसा हुआ ह...
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रविवार, 5 अगस्त 2012

कहीं खुल न जाये दुपट्टे की गांठ !

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कहीं खुल न जाये दुपट्टे की गांठ !                दोस्तो ! बहुत दिनों से नेट पर लगभग अनुपस्थित सा रहा हूं मैं। वजह मेरा...
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बुधवार, 25 जुलाई 2012

नित्यानंद गायेन की कविता-तुम इतनी टूट चुकी हो ...?

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-तुम इतनी टूट चुकी हो ...?            मैं , अक्सर            तुम्हे सोचता हूँ            खोजता हूँ            हवा मे...
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मंगलवार, 26 जून 2012

प्यारे सपने

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प्यारे सपने नींद में आते हैं सपने पास बुलाते हैं सपने कभी मनमोहक तो कभी डरावने होते हैं सपने ।   सपने जब डरा जाय प्यार से सहलाते हैं अपन...
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बुधवार, 6 जून 2012

देखो कितने लदे-फदे हैं पेड़

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   देखो कितने लदे-फदे हैं पेड़              इन दिनों राजकीय इंटर कालेज देवलथल के प्रांगण के चारों ओर बोटल ब्रूश अपने पूरे शबाब ...
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