पुरवाई
रविवार, 20 जनवरी 2013

कविताएं-

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उषा विनीता कोटिया चाँद छुपा तारे डूबे आया उमंग का एक नया सवेरा सज-धज अपनी लालिमा संग। ज्यों ही सूर्य की पहली किरण पड़ती उस अटके जल पर जो रात...
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बुधवार, 2 जनवरी 2013

मुझे लिखने दो

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मुझे लिखने दो , कि सूर्य चुरा लेता है अपनी किरणें और नहीं भेजता उन्हें अवनितल पर ...
3 टिप्‍पणियां:
सोमवार, 31 दिसंबर 2012

गज़ल: अनवर सुहैल

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1 हदों  का सवाल है बवाल ही बवाल है दिल्ली या लाहौर क्या सबका एक हाल है कल...
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