पुरवाई
बुधवार, 27 मार्च 2013

तुम्हारे कोमल गालों के गुलाल

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होली कैलाश झा किंकर होली आई झूमकर , फगुनाहट के साथ सारी खुशियाँ आ गईँ सचमुच सबके हाथ। सचमुच सबके हाथ हुए हैँ ...
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बुधवार, 20 मार्च 2013

सौरभ राय ‘भगीरथ ’ की दो कविताएं-

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            सौरभ राय ‘ भगीरथ ’ उभरते हुए युवा रचनाकारों में से एक हैं। जिनकी कविताएं जीवन के असंख्य थपेड़ों को झेलती...
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