पुरवाई
रविवार, 30 अप्रैल 2017

नरेंद्र सैनी की कहानी : मासूम माशूक

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मजदूर दिवस की पूर्व संध्या पर 200 वीं पोस्ट के रुप में प्रस्तुत है नरेंद्र सैनी की कहानी : मासूम माशूक          “ऋषि तुमसे कितनी बार कहा...
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मंगलवार, 18 अप्रैल 2017

कविता : सचमुच कहीं खो न जाऊँ - आयुष चन्द

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  सुदूर तक दृष्टिगत होते   अनगिनत घर ही घर कहीं दूर तक फैले विशालकाय अपनी लम्बी बांहे फैलाये सुदंरता नि...
रविवार, 9 अप्रैल 2017

कहानी : शेष जो था - अमरपाल सिंह ‘आयुष्कर’

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              “ सिर्फ साँसों की तपन और होंठों की नमी ज़िन्दगी के कैनवास को सार्थकता नहीं देते प्रीतिका | ये तुम...
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