मंगलवार, 28 मार्च 2017

आई सुनहरी सुबह : अशोक बाबू माहौर




 मध्य प्रदेश के मुरैना जिला में 10 जनवरी 1985 को जन्में अशोक बाबू माहौर का इधर रचनाकर्म लगातार जारी है। अब तक इनकी रचनाएं रचनाकार, स्वर्गविभा, हिन्दीकुंज, अनहद कृति आदि में प्रकाशित हो चुकी हैं।
  ई.पत्रिका अनहद कृति की तरफ से विशेष मान्यता सम्मान 2014.2015 से अलंकृति ।

आई सुनहरी सुबह

सुनहरी सुबह 
आई लेकर खुशियाँ
झूम उठी पुरवाई 
मस्तमौला डालियाँ 
पेड़ों की,
खेल उठी आँगन में 
बिटिया नन्हीं प्यारी 
मुस्काती

लताएँ लहराकर 
मगन 
चढ़ जाती 
पाती मंजिल
उधर ख़ामोशी साधे
तितली रंगीली 
आज वह भी 
फुदकती इधर उधर 
फूलों पर 
गुमराह सी खोई खोई

संपर्क- 
ग्राम-कदमन का पुरा
तहसील-अम्बाह,जिला-मुरैना (मध्य प्रदेश) 476111 
मो-09584414669 

रविवार, 12 मार्च 2017

होली विशेष पर पंखुरी सिन्हा एवं अमरपाल सिंह ‘आयुष्कर’ की कविताएं:


























संवत की आग

पंखुरी सिन्हा


जलेंगे लकड़ी के ढेर
 
फिर से संवत पर
 
लपटें उठेंगी आसमान तक
 
छूटेंगी चिंगारियां
 
उड़ेंगी हवा में
 
हवा में होगा
 
ढ़ेर सारी टहनियों का चटकना
 
लोगों का बहकना
 
फाग का गीत होगा
 
विहाग, सुहाग का
 
नाचेंगे टोले के लड़के
 
और होगा हुड़दंग कल
 
रंगों का

रंगीन शोर होगा
 
पिचकारी और पानी का
 
और होउंगी नही मैं वहां
 
बचपन की सब होलियों के शहर में

एक बार फिर, रुक जाने का वही शहर है
 
वही भगोड़ा, भगा ले जाने वाला
 
वहीँ राजधानी की गलियों में अँटकी हूँ
  
अजब सवाल जवाबों में
 
किन्हीं सड़कों की खातिर
 
कि और हों राहें
 
फूलों के लिए
 
कि उन्हें मिलता रहे पानी
 
खाने पीने की एक बहुत मजहबी हो गयी लड़ाई में
 
उलझी, कि उनका खाना पीना
 
उसका तय होना हो
 
सहज ही आनंददायी
 
पर ऐसी मारकाट है
 
मानो एक दूसरे को

पकाकर खाने की नौबत
 
पीने के पानी
 
सांस लेने की हवा में
 
खिंची हुई है यह लड़ाई
 
हर किसी के हिस्से
 
आती है थोड़ी थोड़ी
 
हर त्यौहार पर लड़ी गयी है
 
थोड़ी सी यह लड़ाई
 
इस बार बस उतनीही
 
जितनी तय है
 
लगभग गफलत से
 
कुछ करके कम अपनी हिंसा
 
गुज़रे इस बार यह त्यौहार
 
और लड़कियां तो
 
नही ही निकलेंगी अपने घर से...........


पंखुरी सिन्हा


 9968186375-सेल फ़ोन





















आज तुझको रंग दूँगी
अमरपाल सिंह  आयुष्कर

इन्द्रधनुषी रंग सारे
भर हिया में फाग प्रियवर !
आज तुझको रंग दूँगी,

कर दहन सारी कलुषता
होलिका की ज्वाल में
बन के दीवा खिल उठूँगी
आरती  की थाल में 
दिवस के आठों पहर
संगीत मन का गान छेड़ो
मैं तुम्हारा संग दूँगी

इन्द्रधनुषी रंग सारे
 भर हिया में फाग प्रियवर !
आज तुझको रंग दूँगी,

दुःख पगी सारी गगरिया
फोड़ दूँगी साँच रे !
छू ना पाये अंग तेरे
कोई कलुषित आँच रे  !
तुझको पाने की तपस्या
जिस नयन की आस हो 
कर उसे मैं भंग दूँगी
इन्द्रधनुषी रंग सारे
भर हिया में फाग प्रियवर
आज तुझको रंग दूँगी । 

अमरपाल सिंह  आयुष्कर

मोबाईल न. 8826957462   

 mail-  singh.amarpal101@gmail.com

बुधवार, 8 मार्च 2017

अमरपाल सिंह ‘ आयुष्कर ’ की कविताएं




     हमारे समय के महत्वपूर्ण युवा हस्ताक्षर । आज ' अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस ' पर कवि मित्र अमरपाल सिंह ‘ आयुष्कर ’  की कविताएं प्रकाशित करते हुए हमें खुशी हो रही है।आपके महत्वपूर्ण विचारों की प्रतीक्षा में । - सम्पादक

अमरपाल सिंह ‘ आयुष्कर ’  की कविताएं -
1-दीदी

आज चौथी बार तिरस्कृत होकर लौटी
दीदी की तस्वीर
बाबूजी के जूते ,  अम्मा  की सांसें
भैया के सपने , छुटकी के खिलौने
और मेरी ख़ुशी ,
एक बार फिर
दीदी के हाथों की लकीरों  - सा कट गए
बाबूजी की जेब का हल्कापन
सभी दिलों को भारी कर गया
दीदी का घरोंदा
हल्केपन के भार से दब गया
पर ,
दीदी फिर घरोंदे बनायेगी
विश्वास की नीव डालेगी
आशा के दीपक जलायेगी
एक गुड़िया सजायेगी , प्यार करेगी उसे , बियाहेगी
पर ,
दीदी की भीगी आँखे , ढलती साँसे और सूनी माँग देख
क्या गुड़िया ससुराल जायेगी ?

 
 पेंटिंग - ममता सैंडवाल

2-सबूत

एक रात बाहर गुज़ार लौटी लड़की
अग्निपरीक्षा हेतु चक्षुकुण्ड ले दौड़ी
सारे मुहल्ले की आँखें
गुजरी रात का सच भी
ना  बचा सका उसे
कैसे बताये
सुनसान रास्ते पर ,बिगड़ी बस में
अजनबी पिपासु नेत्रों ,कुंठित शब्दों ,अमर्यादित भावों की
अनलशिखा में
कितनी देर, देती रही अग्निपरीक्षा
अवध हो या लंका
हर हाल में देना पड़ता है
भरमाई आँखों को सबूत अपने होने का |

3-शाश्वती

घुटाता  रहा उसे हर सफ़र
रसोई से दफ्तर तक, चूल्हे से ओवन तक
बिना तपे कहाँ दे  पायी स्वाद ?
सिल-बट्टे से लेकर मिक्सी तक
बिना पिसे कहाँ दे पायी रंग ?
पतीले की खुरचनी से होटल की मेज तक
खंघालती रही अपनी भूख ?
मोटी मारकीन से कांजीवरम तक में
चुभती रही हर आँख ?
फिर भी
पिता, पति, पुत्र ,परिवार
संजोए  संस्कार ,प्रथाएं
मंचित करती सार्थक भूमिकाएं
जीती उर्वर आशाएं   

लहलहाता उसका कर्मपथ
शाश्वत,सनातन ,अनवरत |
संपर्क-खेमीपुर, अशोकपुर,नवाबगंज जिला गोंडा,उत्तर प्रदेश
मोबाईल न. 8826957462