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शुक्रवार, 30 दिसंबर 2016

कविता - प्रकृति : अमन उनियाल

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प्रकृति थोड़ी सी धूप और थोड़ी से नमी है यहीं पर पवन और यहीं पर जमीं है कभी हार का गम होता है कभी जीत की खुशी यही तो प्रकृत...
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