निर्मल सिंह 'नीर'
लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं.
सभी संदेश दिखाएं
निर्मल सिंह 'नीर'
लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं.
सभी संदेश दिखाएं
रविवार, 5 मार्च 2017
कविता : निर्मल सिंह 'नीर'
›
वो हिंदू मुस्लिम कह हमे भड़काते रहे यहां हम भी हां मे हां बस मिलाते रहे , उसकी औकात नहीं की बदजुबानी करे बस हमी क...
1 टिप्पणी:
›
मुख्यपृष्ठ
वेब वर्शन देखें