पुरवाई
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रविवार, 18 जून 2017

मदन मोहन 'समर' की कविताएं

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1- मतभेद हुआ है मेरे घर की दीवारों में छेद हुआ है। चूल्हे - चौके में शायद मतभेद हुआ है। धूप सुनहरी बाहर...
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