विनीता कोटिया
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रविवार, 20 जनवरी 2013
कविताएं-
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उषा विनीता कोटिया चाँद छुपा तारे डूबे आया उमंग का एक नया सवेरा सज-धज अपनी लालिमा संग। ज्यों ही सूर्य की पहली किरण पड़ती उस अटके जल पर जो रात...
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