सुरेश सिंह
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शुक्रवार, 22 जुलाई 2016
सुरेश सिंह की गढ़वाली कविता : गों की याद
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सोचणूं छो मांजी बैठी मैं अपड़ा डेरा मा ओंड़ लगीं छ याद मांजी अपड़ा गों गुठ्यार की तुम्हारु मिथैं खांणू खलैक स्कूल भेजणुं फि...
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