अरुण आशीष बचपन से ही कविताएं लिखते रहे हैं। हास्य व्यंग की कविताओं के बाद गंभीर साहित्य की ओर लेखन अभी जल्दी ही। इनकी कविताएं अपने आस-पास से ही सामाग्री उठाकर उन्हें विस्तृत आयाम प्रदान करती हैं। यहां पर उनकी एक कविता ज़िन्दगी जो अपने कथ्य ,शिल्प एवं गझीन बिंबों व प्रतीकों से ध्यानाकर्षित करती है । जो इन्हें एक संभावनाशील कवि के रूप में स्थापित होने का संकेत दे रही है। आदमी की जिन्दगी कितने उतार- चढ़ाओं से भरी है । इस कविता में बड़े सिद्दत से महसूस किया जा सकता है।
कानपुर मेडिकल कालेज से एम बी बी एस अंतिम वर्ष की पढ़ाई कर रहे अरुण आशीष का जन्म उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के चिलिकहर नामक गाँव में 1 जुलाई 1984 में हुआ। अपनी कविताओं के प्रकाशन को लेकर ये कभी गंभीर नहीं रहे। बेब पत्रिकाओं में छिटपुट कविताएं प्रकाशित।
यहां उनकी एक कविता-
ज़िन्दगी
सर्कस में परदे के पीछे से झांकती
सकुचाती शर्माती वो छाया
कौतुहल से अपने परिचय को आतुर
इंतजार करती अपनी बारी का
मंचासीन होते ही
दिखाया उसने अदम्य आत्म-विश्वास
बिना किसी डर के
दिखाना करतब
पतली डोर के सहारे चलना
लपक के झूल जाना
एक से दूसरे झूले पर
कभी लटक जाना ऊँचाई से
करना कभी लपटों का सामना
विविधता लिए मुस्कान के साथ
करना अठखेलियाँ
नाचते हुए
लाउड स्पीकर की धुन पर
रिझाना
कभी क्रोध कर डराना
विचित्र भाव भंगिमा धारण कर
कराना अपना साक्षात्कार
हर बाधाओं को लांघती
तोड़ती प्रत्येक सीमाओं को
जोड़ती कई विधाओं को परस्पर
कई रूपों के बावजूद भी
अभिन्न
इसी का नाम है ज़िन्दगी ।
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संपर्क सूत्र -
कक्ष संख्या 116 एबी एच 4
गणेश शंकर विद्यार्थी स्मारक चिकित्सा
गणेश शंकर विद्यार्थी स्मारक चिकित्सा
महाविद्यालय कानपुर उत्तर प्रदेश
मोबाइल- 09450779316
मोबाइल- 09450779316
behtarin kavita . badhai.
जवाब देंहटाएंumda..kya baat
जवाब देंहटाएंबहुत अर्थपूर्ण रचना.................बधाई स्वीकारें
जवाब देंहटाएंसंभानाओं के संकेत तो मिलते हैं, पर अभी भाषा को मांजने की ज़रूरत है. वर्तनी की अशुद्धियां भी दूर करने की ज़रूरत है. मेरी शुभकामनाएं, नवागंतुक कवि को !
जवाब देंहटाएंसुंदर …
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