वह कवियों की तरह नहीं लिखते कविताएं
खेतों में बोते हैं अपनी मेहनत के बीज
उनके अंखुआने से
नाचती है धरती अपनी धुरी पर
और जीवन कुनमुनाता है मधुर मंद
आज उनके सपनों में
घुस आया है कोई
उनके जहन में खड़ा किया गया
तिलिस्म का बाजार
चुगाये गये शब्दों के दाने
पहनाई गई पुरस्कारों की माला
घुमाया गया राजपथ पर
एक भ्रम का जाल
मढा गया उनकी आंखों में
कि तुम्हारी आय पांच साल में
हम दोगुनी कर देंगे
तब से उसकी नींद से
सपने गायब हैं
अब कभी नहीं देखता सपने में
हरियाई फसलों को
फसलों पर अठखेलियां करती मधुमक्खियाें
और तितलियों को
उसने उतार कर रख दिए हैं हल और जुआठ
किसी संग्रहकर्ता द्वारा रख दिया जाएगा
संग्रहालय में इन्हें
और किसी पत्थर या प्लेट पर
लिख दिया जाएगा दिन,समय और तारीख
कि ये खेती करने के औजार हैं फलां सदी के
जिनके नायक सपना-सपना
बुद्बुदाते हुए विलुप्त हो गये
इन्हीं तारीख़ों, समय और दिनों में |
संपर्क - आरसी चौहान (जिला समन्वयक - सामु0 सहभागिता )
जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी आजमगढ़ उत्तर प्रदेश
276001
मोबाइल -7054183354
ईमेल- puravaipatrika@gmail.com
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