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रविवार, 30 सितंबर 2012

अब संवारा देश के



विश्वनाथ भारती


भोजपुरी लोक गीतकार विश्वनाथ भारती बिरहा लेखन के सशक्त हस्ताक्षर हैं। इनके लिखे गीतों व बिरहों को भोजपुरी लोकगायकों ने हाथों हाथ लिया है। यही वजह है कि टी- सिरीज व अन्य कंपनियों से निकले इनके गीतों व बिरहों से सजी दर्जनों कैसेटें समाज में जन -जागरूगता की अनवरत अलख जगा र
ही हैं। प्रस्तुत है यहां उनके दो बिरहा ।

1.... अब संवारा देश के

छोड़ा जाति पाति के नारा अब संवारा देश के
सबका ईश्वर एकही हउवे सबके उहे बनवलें हो
सबके उहे बनवलें हो
निजी स्वार्थ में ढ़ोगाचारी धर्म अनेक उपजवलें
मानव धर्म बा सबसे प्यारा अब संवारा देश के
राम रहीम की पावन नगरी गौतम का यह देश
हो गौतम का देश गुरू नानक ,रैदास
कबीर दे गइलें संदेश
बनाके आपस में भाईचारा
अब संवारा देश के
जाति - धरम का लाभ उठा विदेशी शासन
कइले हो विदेशी शासन कइले
हीरा- मोती लूट भारत का ले स्वदेश को गइलें
कइलें देश का बंटवारा
अब संवारा देश के
देश के नेता लूटत बाटें जनता की कमाई हो
जनता की कमाई
मय भूख से व्याकुल जनता बढ़ि गइली महंगाई
नेता बन गइले हत्यारा
अब संवारा देश के
देश के बासी चेत जा मन में
भारत माता चेतावें हो
भारत माता चेतावें
वंदे मातरम देश के वासी हिल- मिल के गावें
बनिके विश्वनाथ सहारा
अब संवारा देश के
छोड़ा जाति पाति के नारा अब संवारा देश के।

2.....शिक्षा

शिक्षा के बिना विकास नाहीं होला
जीवन के पथ पर प्रकाश नाहीं होला
शिक्षा बिना मानव पशु के समान बा
भारत जननी के करत अपमान बा
शिक्षा बिना इतिहास नाहीं होला
जीवन के पथ पर प्रकाश नाहीं होला।
पाके शिक्षा मानव करत कलाकारी
असंभव को संभव बना भइल चमत्कारी
शिक्षा से मानव क विनास नाहीं होला
जीवन के पथ पर प्रकाश नाहीं होला।
शिक्षा बिना बांटें सपना अधूरा
पइबा शिक्षा तो मिली अधिकार पूरा
शिक्षा पा मानव उदास नाहीं होला
जीवन के पथ पर प्रकाश नाहीं होला।
देशवासियन से बा हमरी अरजिया
बचवन के पढ़इबा त मिटी गरीबिया
विश्वनाथ शिक्षा में खटास नाहीं होला
जीवन के पथ पर प्रकाश नाहीं होला।

संपर्क-
     विश्वनाथ भारती, हेडमास्टर
     चरौंवां , बलिया , उ0प्र0 2221718
     मोबा0-09415508816