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गुरुवार, 29 जनवरी 2015

मछली : डॉ0 अर्चना रानी वालिया




 














रंग -बिरंगी सुन्दर मछली

नित जल में ही रहती है

जल ही है यह मेरा जीवन

फुदक - फुदक कर कहती है



एक ताल से अन्य ताल तक

सैर सपाटा करती है

अपनी छोटी पूंछ हिलाती

जल में सांसे भरती है



अंदर से वह आंख दिखाती

हाथ लगा डर जाती है

पानी के अंदर ही जाने

कैसे खाना खाती है



कीट पतंगे खा जाती है

गोते खूब लगाती है

अपने सुन्दर खेलों से वह

सबका मन बहलाती है



मैं जल तल की महरानी हूं

जैसे सबसे कहती है

पानी को भी स्वच्छ साफ यह

निशदिन करती रहती है।
संपर्क -

डॉ0 अर्चना रानी वालिया (प्रवक्ता -हिन्दी)

रा0स्ना0 महाविद्यालय कोटद्वार पौड़ी

उत्तराखण्ड