बुधवार, 5 जून 2019

मिलाकर आये हो : अशोक बाबू माहौर


 
मध्य प्रदेश के मुरैना जिला में 10 जनवरी 1985 को जन्में अशोक बाबू माहौर का इधर रचनाकर्म लगातार जारी है। अब तक इनकी रचनाएं स्वर्गविभा, अनहदक्रति, साहित्यकुंज, हिंदीकुंज, साहित्यशिल्पी, पुरवाई, रचनाकार, पूर्वाभास, वेबदुनिया, अद्भुत इंडिया, वर्तमान अंकुर, जखीरा, काव्य रंगोली, साहित्य सुधा, करंट क्राइम, साहित्य धर्म आदि में प्रकाशित।
  
सम्मान : इ- पत्रिका अनहदक्रति की ओर से विशेष मान्यता सम्मान 2014-15  नवांकुर वार्षिकोत्सव साहित्य सम्मान  नवांकुर साहित्य सम्मान काव्य रंगोली साहित्य भूषण सम्मान मातृत्व ममता सम्मान आदि 
प्रकाशित पुस्तक :साझा पुस्तक
(1)नये पल्लव 3
(2)काव्यांकुर 6
(3)अनकहे एहसास



मिलाकर आये हो
 
उफ! गंदे नाखून
गंदगी से सने
मटमैले
क्यों तुम्हारे?
आँखें भी लाल
चेहरा झुर्रियों से भरा
कहाँ से आये हो तुम?
सच सच बताना
न कुछ छुपाना
इतना गंदगी का ढे़र
नाखूनों पर
सजाये क्यों घूम रहे हो?
आप कहो न कहो
मुझे पता है
आप संघर्ष कर
जोड़कर आये हो
राह से राह,
मिलाकर आये हो
भले मनुष्यों को
आपस में।


संपर्क :ग्राम कदमन का पुरा, तहसील अम्बाह,
जिला मुरैना (मप्र) 476111
मो-08802706980

1 टिप्पणी:

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