बाल दिवस ( 14 नवंबर 2011 ) पर दो बच्चों बिजेन्द्र सिंह एवं मनवीर सिंह नेगी की कुछ कविताएं पोस्ट कर रहा हूं। आप सुधीजनों के विचारों की हमें प्रतीक्षा रहेगी। - संपादक
बिजेन्द्र सिंह
2 अक्टूबर1995 को टिहरी गढ़वाल के खासपट्टी पौड़ीखाल के बाँसा की खुलेटी(गौमुख) नामक गांव में दलित परिवार में जन्में बिजेन्द्र सिंह ने राज्य स्तर पर खेल के अलावा विभिन्न क्षेत्रों में सराहनीय कार्य किया है।स्कूल में हमेशा पढ़ाई में प्रथम आने पर सम्मानित भी हुए हैं। प्रवाह ,भाविसा और पुरवाई पत्रिकाओं में प्रकाशित होने के बाद कहीं भी बेब पत्रिकाओं में प्रकाशित होने वाली उनकी पहिलौठी कविताएं। वर्तमान में श्री गुरूराम राय पब्लिक स्कूल देहरादून में अध्ययनरत।
बिजेन्द्र सिंह की कविताएं-
1-दो भाई
दो थे भाई सोनो-मोनो
बहुत शरारती थे वह दोनों
बात-बात पर झगड़ा होता
झगड़ा अक्सर तगड़ा होता
उनकी माँ हमेशा डाँटती
फिर भी नहीं वह उन्हें मारती
बच्चों से वह करती थी प्यार
मारने पर बच्चे रुठ जायेंगे यार
उनके पिता जी उन्हें डाँटते
फिर भी नहीं वह दोनों मानते
टीचर ने उन्हें खूब समझाया
अच्छे -बुरे का फल बतलाया
अब नहीं वह शैतानी करते
मन लगाकर दोनों पढ़ते।
2-मन में आया
मन में आया चिडिया बनकर
आसमान में उड़ता जा़ऊँ
मन में आया शेर बनकर
जगह-जगह पर गुर्रा़ऊँ
मन में आया बिल्ली बनकर
म्याऊँ - म्याऊँ करता जाऊँ
मन में आया कबूतर बनकर
सबको शुभ संदेश पहुंचाऊँ
मन में आया बंदर बनकर
इधर-उधर उछल कूद मचाऊँ
मन में आया हाथी बनकर
मैं भी अपनी सूँड़ हिलाऊँ
कहां गये मेरे सपने सब
जब से हुआ बड़ा मैं अब।
संपर्क-
बिजेन्द्र सिंह
ग्राम व पोस्ट-बाँसा की खुलेटी, गौमुख
खासपट्टी पौड़ीखाल , टिहरी गढ़वाल
उत्तराखण्ड, 249121
मोबा0-09012811312
मनवीर सिंह नेगी की एक कविता
मेरा मिट्ठू
एक वृक्ष पर था तोता
किन्तु अभी वह बहुत था छोटा
मम्मी- पापा के संग रहता था
होते भोर ही जगता था
एक दिन उसको पकड़कर लाया
दूध-भात मैंने खूब खिलाया
मिट्ठू-मिट्ठू कहता था
ए ,बी, सी ,डी पढ़ता था
उसके मम्मी पापा टें-टें करते
क्योंकि वह नहीं लिखे-पढ़े थे।
संपर्क-
मनवीर सिंह नेगी
राजकीय इंटर कालेज गौमुख
टिहरी गढ़वाल ,उत्तराखण्ड, 249121