मंगलवार, 2 अप्रैल 2013

पंखुरी सिन्हा की कविताएं

                 


                                                पंखुरी सिन्हा (जन्म -18 जून 1975 )


      जीवन की किसी भी गतिविधी में सौंदर्य की रचना तभी हो पाती है जब उसमें संतुलन हो। किसी भी तरह की क्षति सौंदर्य को नष्ट करती है कविता में भी वही बात है। जिसने संतुलन को साध लिया वे ही अपना ऊंचा स्थान बनाने में सफल होते हैं। संतुलन को साधने में महारत हासिल करने वाली ऐसी ही एक युवा कवयित्री हैं जिन्होंने समकालीन रचनाकारों में अपनी महत्वपूर्ण उपस्थिति दर्ज कराई है मैं बात कर रहा हूं दो संस्कृतियों का अनूठा संगम कराने वाली युवा कवयित्री पंखुरी सिन्हा की जिनकी कविताओं में बखूबी देखा जा सकता है।
        इनकी रचनाएं अब तक हंस, वागर्थ, पहल, नया ज्ञानोदय, कथादेश, कथाक्रम, वसुधा, साक्षात्कार, अभिव्यक्ति, जनज्वार, अक्षरौटी, युग ज़माना, बेला, समयमान, अनुनाद, सिताब दियारा, पहली बार, पुरवाई, लोकतंत्र दर्पण, सृजनगाथा, विचार मीमांसा, रविवार, सादर ब्लोगस्ते, हस्तक्षेप, दिव्य नर्मदा, शिक्षा धरम संस्कृति, उत्तर केसरी, इनफार्मेशन2 मीडिया, रंगकृति, हमज़बान, अपनी माटी, लिखो यहाँ वहां, बाबूजी का भारत मित्र आदि पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी हैं।
हिंदिनी, हाशिये पर, हहाकार, कलम की शान, समास, हिंदी चेतना, गुफ्तगू आदि ब्लौग्स वेब पत्रिकाओं में, कवितायेँ तथा कहानियां, प्रतीक्षित
किताबें
 'कोई भी दिन' , कहानी संग्रह, ज्ञानपीठ, 2006
  'क़िस्सा--कोहिनूर', कहानी संग्रह, ज्ञानपीठ, 2008
  कविता संग्रह 'ककहरा', शीघ्र प्रकाश्य,
 पवन जैन द्वारा सम्पादित शीघ्र प्रकाश्य काव्य संग्रहआगमनमें       कवितायेँ सम्मिलित

पुरस्कार-  
-राजीव गाँधी एक्सीलेंस अवार्ड 2013, दिए जाने की घोषणा
-पहले कहानी संग्रह, 'कोई भी दिन' , को 2007 का चित्रा कुमार शैलेश मटियानी सम्मान
 -'कोबरा: गॉड ऐट मर्सी', डाक्यूमेंट्री का स्क्रिप्ट लेखन, जिसे 1998-99 के यू जी सी, फिल्म महोत्सव में, सर्व श्रेष्ठ फिल्म का खिताब मिला
-'एक नया मौन, एक नया उद्घोष', कविता पर,1995 का गिरिजा कुमार माथुर स्मृति पुरस्कार,
-1993 में, CBSE बोर्ड, कक्षा बारहवीं में, हिंदी में सर्वोच्च अंक पाने के लिए, भारत गौरव सम्मान।




प्रस्तुत है इनकी कुछ कविताएं -

चुप्पी के अंतर

चुप्पी अधिकारी की,
पुलिस अफसर की,
फरक है जिस तरह,
किस तरह,
कितनी,
कितनी फरक,
उस लड़की से,
जो करते ही प्रवेश,
कामकाजी संसार में,
कला की सिद्ध दुनिया में,
अभिनय की प्रसिद्ध दुनिया में,
दफ्तरी जगह में, करते ही प्रवेश,
देखती है कि एक अजीब सा चुनाव है,
उनसे लगातार सवाल करते रहने का उसका,
और बढ़ते जा रहे हैं,
अधिकारों के दायरे उनके,
सिमटता जा रहा है उसके नितांत अपने का क्षेत्र,
कितनी फरक उसकी अचम्भित चुप्पी से,
उस पुलिस अफसर की,
जिसे वह लगातार फ़ोन कर रही थी,
कि पीछा तक कर रहा था,
कोई उसका।



ताना बाना

बनाते हैं हम दोस्त, जहाँ तक मुमकिन हो बनाना,
हर कही हुई बात को, देकर एक अच्छा सा मोड़,
करके उसका खूबसूरत सा इस्तेमाल,
कि फलां ने ये कहा, और लागू है हम सब पर,
कि झगड़ा हम यहीं ख़त्म करें,
खात्मा सारी रंजिश का,
नाराजगियों का सारी,
बंद करें हम ताने देना,
बोली ठोली,
अजीब सी एक आँख मिचौली,
कौन चोर, सिपाही कौन,
पर सवाल ये कि कहाँ हो संधि वार्ता,
वह मकाम क्या हो?
क्या हो वह मकाम?
किसका पलड़ा भारी,
किसका हल्का?
कौन बन्दर, कौन मदारी?
कौन ऊपर, कौन नीचे?
कौन आगे, कौन पीछे,
कौन दोस्त, कौन दुश्मन?


सुड़कने, चबाने के स्वर

काबू कर लेगी, आवाजों को उसकी वह,
इस नयी रूममेट की आवाजें,
रह लेगी साथ उनके,
ये बहुत तेज़ सुड़कने की,
रेघा कर चबाने की, जैसे फल,
ये इधर की आवाजें,
एक बूढ़े की लड़ाई की,
एक बूढ़े के साथ की लड़ाई की,
जब से शुरू हुआ भूख और भोजन का युद्ध,
जब से शुरू हुई किसके पास क्या की गिनती?
तभी से शुरू हुई,
कौन क्या कर सकता है
की भी गिनती
बेहद खतरनाक एक गिनती,
फलांगती ताक़त की नुमायिशों की हद।

संपर्क-39, मेरीवेल क्रेस्सेंट, कैलगरी, NE, AB,  कैनाडा, T2A2V5
ईमेल-sinhapankhuri412@yahoo.ca,
सेल फ़ोन- 403-921-3438

28 टिप्‍पणियां:

  1. सहज व गंभीर कविताएँ..बधाई……

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  2. जीवन से संवाद करती कविताएं,और सोचने
    को विवश करती है-----सार्थक और सुंदर रचना
    पंखुरी सिन्हा जी को बधाई...
    ANIL KUMAR

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  3. अर्थपूर्ण और सार्थक । बधाई ।

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  4. pankhuri ji ,
    hardik naman !
    u sent ur poems sharing facebook dhanyavaad .ur poem are indeed beautiful with the note of solemn appeal to amend ourselves.. taana baana is a nice poem . i m so delighted to read it . पर सवाल ये कि कहाँ हो संधि वार्ता,very nice u said . again i appreciate its a question can be raised at anywhere . कौन बन्दर, कौन मदारी? no one knows who is he or she just clash and clash to each other .झगड़ा हम यहीं ख़त्म करें,
    खात्मा सारी रंजिश का,
    नाराजगियों का सारी,
    बंद करें हम ताने देना,
    its a nice message to finish all that is non sense. Hallelujah, Hallelujah to invoke the right vision of life . very straight and praise worthy . pankhri ji congrates to the core of my heart .
    yours too
    anurag chanderi

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  5. Poem kafi pasand aayi.
    Aap krishankant ji ko janti hai kya?
    Aap unki story muawaja padhe.
    Bahut adbhut lagegi.
    Us story par movie bhi ban rahi hai.
    Aap bhi waisi story likhe.
    Meri subh kamnaye accept kare.
    Your jitendra gupta.

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  6. अच्छी लगी बेहद शांत मन से लिखी गयी सुन्दर कविताए शुक्रिया आभार पंखुरी जी ।

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  7. bahut hee sahaj roop se likhi gaee aapki yeh kavitaen man ko bharpoor chhuti hain,bhadai.

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  8. बहुत अर्थपूर्ण रचनाएं.................बधाई

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  9. बहुत अच्छी कविताएँ हैं ...
    - ( गुलज़ार हुसैन )

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  10. गहन अनुभूतियों को सहजता से
    व्यक्त किया है आपने अपनी रचनाओं में
    सार्थक रचनायें
    बधाई और शुभकामनायें

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  11. achchhi kavitao ke liye badhai...mamta kiran

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  12. Great poems indeed. You have realty set a trend for a new type of poetry. The words cannot express the depth of the thoughts behind the idea. Only those who have undergone can feel.....

    Anil

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  13. कविताएँ पसंद आईं.इधर बहुत दिनों बाद आपकी कविताएँ देखीं .बधाई और शुभकामनाएं

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  14. उम्दा कवितायेँ.......सशक्त लेखन.......पंखुड़ी जी को बहुत-बहुत बधाई.

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  15. is kavita ko dekhne k bad man me chhatptahat paida ho gayi, in kavitaon ki jarurat aaj Hindustan k 80% logon ko hai.......ye kavita un logon tak bhi pahunche.......to bahut achchha hoga,

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  16. बहुत सुंदर सार्थक कवितायें हैं.....बधाई और शुभकामनाएँ

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  17. वा सार्थक अभिव्यक्ति ...शुभ कामनायें

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  18. Many thanks Jitendra ji, Alpana ji, Anita ji, thankyou so much

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  19. Thankyou Rupesh ji, for such a big compliment. My first collection of poems just came out this February, and all of these poems are in it. Unfortunately, my net was not working, because of which I could not site the pre published poems, in this collection. But definitely, will try to do it in the second edition or a bigger collection.

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  20. Thankyou Gopalbandhu ji, Sunil Jhadav ji, Anil ji, Shailesh ji

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  21. सुन्दर शब्द रचना
    नव बर्ष की शुभकामनाएं
    http://savanxxx.blogspot.in

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