मंगलवार, 25 जुलाई 2017

हिंदी जगत की समृद्धि के लिए यह एक महत्‍वपूर्ण कदम : धर्मेश कठेरिया





 रचनाओं के श्रव्य (ऑडियो) अनुबंध के संबंध में
 महोदय/महोदया,
          सादर अवगत करना है कि AVIS Pvt. Ltd. (Agastya Voice And Infotainment Services Private Limited) भारत की तेजी से बढ़ती हुई हिंदी में आडियो बुक निर्माणकर्ता कंपनी है। हमें आशा है कि आप कंपनी से जुड़कर देश के उन करोड़ों हिंदी प्रेमियों एवं दिव्यांगजनों तक अपने महत्वपूर्ण लेखन को पहुंचाकर गौरवान्वित महसूस करेंगे। इस संबंध में आपके द्वारा किए गए महत्वपूर्ण लेखन कार्य को कंपनी श्रव्य (ऑडियो) रूप में करना चाहती है।

अत: आप से अनुरोध है कि आप अपनी कृति/पुस्तक के श्रव्य (ऑडियो) के अधिकार प्रदान करने की अनुमति दें।
       सादर अनुरोध के साथ।
·       महोदय/महोदया,  सहमति हेतु नीचे दिए गए अनुबंध को कॉपी करें और एक नया मेल कम्पोज़ कर उसमें अनुबंध को पेस्‍ट करें। अब आवश्यकतानुसार विवरण भरें, और अंत में अपना नाम और सहमति लिखकर हमें booksinvoice@gmail.com पर भेज दें।

 Sd/-
   निदेशक
AVIS
Agastya Voice and Infotainment Services Pvt. Ltd.

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अनुबंध पत्र Agastya Voice And Infotainment Services Pvt. Ltd.
Add: Plot No. 02, Shastri Nagar, Jabalpur, Madhya Pradesh, India, 482001
Reach us:  avispvt.ltd@ gmail.com

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भाग एक:
यह कॉपीराइट अनुबंध आपके (लेखक) साथ दिनांक ..................................... से  मान्य होगा।
के बीच (नाम एवं पता) - ...........................................................................................................................................
तथा –
AVIS (अगस्‍त्‍य वायस एंड इंफोटेनमेंट सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड, प्‍लाट न. 02, शास्त्री नगर, जबलपुर, मध्‍यप्रदेश, भारत ।

भाग दो:

1.       पृष्ठभूमि
AVIS प्राइवेट लिमिटेड भारत की एक विधिवत स्थापित व्यावसायिक संस्‍थान है। यह भारत के मध्‍यप्रदेश राज्य के जबलपुर शहर में स्थित है।  

सुश्री/श्रीमती/श्री/डॉ/..........................................................................................द्वारा लिखित पुस्तक/ लेख/ कविता/ उपन्‍यास/ कहानी/ संस्‍मरण/ जीवनी/ लेख एवं अन्‍य लेखन...

प्रीमियम : 1. ..............................................
             2. ..............................................
            3. ..............................................
             4. ..............................................
           5. ..............................................
        
नान प्रीमियम: 1. .........................................
                  2. .........................................
                  3...........................................
                  4. ........................................
                  5. ........................................
    (कृपया आवश्यकतानुसार बढ़ाए)

·         लेखकों से अनुरोध है कि कृपया दोनों श्रेणियों प्रीमियम और नान प्रीमियम हेतु अपनी कृति/पुस्तक उप्लब्ध कराएं।

.....................का अनुबंध करते हुए AVIS प्राइवेट लिमिटेड को मेरे द्वारा किये गये कार्य की श्रव्य रूप में (ऑडियो में) करने की अनुमति देता/देती हूं।

इस अनुबंध में दिए गए नियम और शर्तों से लेखक और AVIS सहमत हैं-

2.       अधिकार की प्रकृति
लेखक, AVIS को अपनी मूल कृति/पुस्तक को ऑडियो रूप में निर्माण/ पुनः निर्माण, उपयोग, पुनः उपयोग और कार्य को ऑडियो प्रारूप में पुनः उत्पादित करने के लिए यहां दिए गए नियमों के अंतर्गत अधिकार प्रदान करता/करती हूं। AVIS ऑडियो रूप में कृति/पुस्तक को परिवर्तित करने के लिए आवश्‍यक और आंशिक संशोधन करने का अधिकार रखता है (बिना कृति के मूलभाव को क्षति पहुंचाए)। AVIS किसी भी समय डिजिटल प्रारूप (ऑडियो) में प्रकाशन के लिए स्वतंत्र है।
3.       लेखक की जानकारी का उपयोग
AVIS बिना लेखक की पूर्व सहमति के, लेखक द्वारा प्रदान की गयी व्यक्तिगत या निजी जानकारी को खुलासा न करने के लिए सहमत है।
4.       अनुबंध की अवधि
यह अनुबंध स्‍थाई है। लेखक कृति से संबंधित किसी भी प्रकार के ऑडियो अधिकार का हस्‍तांतरण नहीं कर सकता है।
5.       अनुमति प्रारूप
यह अनुबंध वर्तमान (श्रव्य प्रारूप) तथा भविष्य के मीडिया प्रारूपों में विस्तार करेगा। ऊपर दिए गए अधिकार संबंधित मीडिया प्रारूप में प्रदर्शित करने के लिए तकनीकी संशोधन के अधिकार को शामिल करते हैं।
6.       कार्य में संशोधन
लेखक AVIS को अपनी आश्‍यकता के अनुसार कार्य में संशोधन तथा संपादन करने की अनुमति देता है। इस तरह के बदलाव बिना किसी सीमा के शामिल हैं-
6.1.      व्याकरण, वाक्य रचना, वर्तनी और/या विराम सुधार।
6.2.      ऐसी किसी भी सामग्री को हटाना जो कि अपराधिक गतिविधियों, जातीय या धार्मिक घृणा, हिंसा या आतंकवाद को प्रोत्साहित करती है।
6.3.      कार्य की समग्र गुणवत्ता में सुधार लाने के उद्देश्य के लिए संशोधन।
6.4.     किसी भी प्रकार का बड़ा संशोधन जो रचना के मूल को प्रभावित करता है और आवश्‍यक है तो लेखक की सहमति से ही किया जाएगा।  


7.       वारंटी और क्षतिपूर्ति
लेखक यह पुष्टि करता है कि यह कार्य उसका मौलिक है और वह इस कृति का एकमात्र लेखक है तथा प्रतिलिप्याधिकार का मालिक है। इसके अलावा लेखक यह समझता है कि यदि भविष्य में किसी भी प्रकार का प्रतिलिप्याधिकार संबंधी दावों का उल्लंघन होता है या पता चलता है तो वह इसके लिए पूर्णतः जिम्मेदार होगा। लेखक इस अनुबंध के उल्लंघन के तहत किसी भी हानि, क्षति, दंड, कानूनी कार्रवाई अथवा किये गए दावों के लिए AVIS की क्षतिपूर्ति के लिए सहमत हैं।

8.       अनुबंध प्रभाव
भविष्य में यदि लेखक अपने प्रतिलिप्याधिकार का हस्तांतरण करता है तो प्रतिलिप्याधिकार प्राप्त व्यक्ति/संस्था को अनुबंध की सभी शर्तों को स्वीकार करना अनिवार्य होगा और इसे बिना किसी संबंधित लाभ के अपनाना होगा।
9.          संशोधन
इस अनुबंध में कोई भी बदलाव मूल साक्ष्यों सहित दोनों पक्षों द्वारा लिखित में तथा हस्ताक्षरित होना चाहिए।
10.      निष्कासन
कोई भी पक्ष इस अनुबंध को दूसरे पक्ष को 90 दिनों का नोटिस देकर समाप्त कर सकता है। अनुबंध के निष्कासन तथा समाप्ति के बीच दोनों पक्षों का सहमत होना आवश्‍यक है। लेखक की अवधि समाप्ति या बीच में इस अनुबंध के टूटने के मामले में AVIS उत्पादन मूल्य का आवश्‍यकतानुसार दोनों पक्षों की सहमति से निर्णय करेगा। (लेखक की ऑडियो कृति/पुस्‍तक बनाने का मूल्य)

11.   संपूर्ण अनुबंध
इस अनुबंध में लेखक और AVIS (श्रव्य रूप) के बीच हुए संपूर्ण मापदंड निहित हैं। ऐसा कोई भी नियम मौखिक या लिखित में नहीं  हैं। इस अनुबंध में शामिल होकर दोनों (लेखक और AVIS) यह स्वीकार करते हैं कि दोनों अपने द्वारा ही किए गये जांच, छानबीन और निर्णय पर भरोसा कर रहे हैं।
AVIS और लेखक आगे यह आश्वासन देते हैं की उनके पास अनुबंध में प्रवेश करने का अधिकार और शक्ति है और किसी भी अन्य पक्ष के साथ कोई अनुबंध नही हैं।

12.विवाद समाधान
अनुबंध से संबंधित उत्पन्न किसी भी प्रकार का दावा या विवाद जबलपुर, मध्य प्रदेश, भारत के न्यायालय में होगा।

13.    www.booksin voice.com
हिंदी जगत की समृद्धि के लिए यह एक महत्‍वपूर्ण कदम है। AVIS  आपके महत्‍वपूर्ण लेखन को बिना किसी शुल्‍क के (लेखक से) ऑडियो प्रारूप में बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। AVIS  दिव्‍यांगजनों के लिए भी शिक्षण सामग्री ऑडियो प्रारूप में बिना किसी मूल्‍य के उपलब्‍ध कराने के लिए प्रयासरत है। अत: रचनाकारों से विनम्र अपील है कि वे अपने महत्‍वपूर्ण लेखन को हिंदी साहित्‍य को समृद्ध करने हेतु प्रदान करने की कृपा करें।  
·        AVIS लेखक को कृति/पुस्तक की ऑडियो प्रति नहीं देगा।

AVIS आपकी कृति/पुस्तक को वेबसाइट के माध्यम से ऑडियो रूप में श्रोताओं तक पहुंचाएगी। वेबसाइट पर कृति/पुस्तक को दो श्रेणियों में विभाजित किया गया है प्रीमियम और नान प्रीमियम।
प्रीमियमः
इस श्रेणी में उन कृति/पुस्तक को रखा जाएगा, जिन्हें श्रोता कृति/पुस्तक का निर्धारित मूल्य देकर सुन सकता है। इस निर्धारित मूल्य में से लेखक को प्रत्येक खरीद पर 10 प्रतिशत (दस प्रतिशत) रायल्टी (कृति/पुस्तक का मूल्य, हमारा प्रयास है कि 05 रुपए के अंदर ही रखा जाए, कृति/पुस्तक का मूल्य निर्धारण, पृष्ठों की संख्या एवं गुणवत्ता के आधार पर होगा।) मिलेगी।

नान प्रीमियमः
इस श्रेणी में उन कृति/पुस्तक को रखा जाएगा जिन्हें श्रोता वेबसाइट पर कुछ अंशदान मूल्य (सब्स्क्रिप्शन मूल्य) देकर फ्री में सुन सकता है।
·        किसी भी समय नान प्रीमियम श्रेणी के अंतर्गत कोई भी कृति/पुस्तक अधिक सुनी जा रही है तो उसे तत्काल प्रीमियम श्रेणी में स्थानांतरित कर दिया जाएगा।

14.   यह अनुबंध सूचना तकनीक अधिनियम 2000 (ITA -2000 या  IT ACT) और अन्‍य संशोधनों (ITA 2008) के सभी नियमों का पालन करता है।
15.  अनुबंध पत्र में किसी भी प्रकार का संशोधन मान्‍य नहीं होगा ।
          Sd/                          
लेखक  नाम  
 Sd/-
   निदेशक

Thanks and Regards

AVIS

Agastya Voice and Infotainment Services PVT. LTD. 

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गुरुवार, 20 जुलाई 2017

गोवर्धन यादव की कविताएं




1-

एक अरसा बीत गया   
तुम दिखाई नहीं दीं गौरिया ?
और न ही वह झुंड जो 

हरदम आता था साथ तुम्हारे-
दाना-चुग्गा चुनने
कहाँ हो, कहाँ हो गौरैया तुम ?
न जाने कहाँ बिला गईं ?
तुम्हें एक नजर देखने को
कब से तरस रही हैं मेरी आँखें।


2-
अपनी संग-सहेलियों के संग
आँगन में फ़ुदक-फ़ुदक कर चलना
चाँवल की कनकी को चुनना
चोंच भर पानी पीना
फ़िर, फ़ुर्र से उड़ जाना
कितना सुहाना लगता था
न तो तुम आईं
और न ही तुम्हारी कोई सहेली
बिन तुम्हारे
सूना-सूना सा लगता है आँगन।

3-
कहाँ हो, कहाँ हो तुम गौरिया ?
तुम्हें धरती ने खा लिया, या       
आसमान ने लील लिया ?
एक अरसा बीत गया तुम्हें देखे
न जाने क्यों
उलटे-सीधे- सवाल       
उठने लगते हैं मन में।



4-
तुम तो तुम           
वह लंगड़ा कौवा भी अब दिखाई नहीं देता
जो तुम्हें डराता नहीं था, बल्कि
चुपचाप बैठा,
रोटी के टुकड़े बीन-बीन खाता था.
अब सुनाई नहीं देती-       
तुम्हारी आवाज और
न ही दिखाई देता है वह लंगड़ा कौवा ही
फ़र्श पर बिखरा चुग्गा
मिट्टी के मर्तबान में भरा पानी
जैसा का वैसा पड़ा रहता है महिनों
शायद, तुम लोगों के इन्तजार में
कब लौटोगे तुम सब लोग ?


5-
तुम्हारे बारे में
सोचते हुए कुछ.....
कांपता है दिल
बोलते हुए लड़खड़ाती है जीभ
कि कहीं तुम्हारा वजूद
सूरज की लपलपाती प्रचण्ड किरणॊं ने-
तो नहीं लील लिया?
शायद ऎसा ही कुछ हुआ होगा
तभी तो तुम दिखाई नहीं देतीं
दूर-दूर तक
और न ही सुनाई देती है
तुम्हारी चूं-चां की आवाज।


6-
कितनी निष्ठुरता से आदमी
काटता है पेड़
पल भर को भी नहीं सोचता, कि
नहीं होंगे जब पेड़, तो
हरियाली भी नहीं बचेगी
हरियाली नहीं होगी तो
बंजर हो जाएगी धरती
बेघर हो जाएंगे पंछी
सूख जाएंगी नदियां
अगर सूख गईं नदियां
तो तुम कहीं के भी नहीं रहोगे
और न ही तुम्हारी पीढ़ियाँ ?

7-
एक चोंच दाना-
एक चोंच पानी और
घर का एक छोटा सा कोना-
यही तो मांगती है गौरैया तुमसे,
इसके अलावा वह और कुछ नहीं मांगती
न ही उसकी और कोई लालसा है
क्या तुम उसे दे पाओगे?
चुटकी भर दाना,
दो बूंद पानी और
घर का एक उपेक्षित कोना ?

 8-
मुझे अब भी याद है बचपन के सुहाने दिन
वो खपरैल वाला, मिट्टी का बना मकान
जिसमें हम चार भाई,
रहते थे मां-बाप के सहित
और इसी कच्चे मकान के छप्पर के एक कोने में
तुमने तिनका-तिनका जोड़कर बनाया था घोंसला
और दिया था चार बच्चों को जनम
इस तरह, इस कच्चे मकान में रहते थे हम एक दर्जन प्राणी,
हंसते-खेलते-कूदते-खिलखिलाते-आपस में बतियाते
तुम न जाने कहां से बीन लाती थीं खाने की सामग्री
और खिलाती थीं अपनों बच्चों को भरपेट.
समय बदलते ही सब कुछ बदल गया
अब कच्चे मकान की जगह
सीमेन्ट-कांक्रिट का तीन मंजिला मकान हो गया है खड़ा
रहते हैं उसमें अब भी चार भाई पहले की तरह
अलग-अलग, अनजान, अजनबी लोगों की तरह-
किसी अजनबी पड़ौसियों की तरह
नहीं होती अब उनके बीच किसी तरह की कोई बात
सुरक्षित नहीं रहा अब तुम्हारा घोंसला भी तो
सोचता हूँ, सच भी है कि
मकान भले ही कच्चा था लेकिन मजबूत थी रिश्तों की डोर
शायद, सीमेन्ट-कांक्रीट के जंगल के ऊगते ही
सभी के दिल भी पत्थर के हो गए हैं ।


9-
बुरा लगता है मुझे-
अखबार में पढ़कर और
समाचार सुनकर
कि कुछ तथाकथित समाज-सेवी
दे रहे होते हैं सीख,
चिड़ियों के लिए पानी की व्यवस्था की जाए
और फ़िर निकल पड़ते हैं बांटने मिट्टी के पात्र
खूब फ़ोटॊ छपती है इनकी
और अखबार भी उनकी प्रसंशा में गीत गाता है
लोग पढ़ते हैं समाचार और भूल जाते हैं.
काश ! हम कर पाते इनके लिए कोई स्थायी व्यवस्था
तो कोई पशु-पक्षी-
नहीं गंवा पाता अपनी जान।



संपर्क-  
103 कावेरी नगर छिन्दवाड़ा म.प्र. 480-001
 Mob-  07162-246651 0.94243-56400
E mail address-   
goverdhanyadav44@gmail.com                                                    yadav.goverdhan@rediffmail.com


रविवार, 9 जुलाई 2017

डॉ. शैलेष गुप्त 'वीर' के दो गीत






 
























1- मम्मी से
मम्मी देखो बात मान लो,
 बचपन में ले जाओ मुझको।

पकड़-धकड़ के, रगड़-रगड़ के  
नल नीचे नहलाओ मुझको।  
तेल लगाओ मालिश कर दो,
 मुझे हँसाओ जी भर खुद को।
मम्मी देखो बात मान लो...।।

भाग-भाग कर पकड़ न आऊँ,  
छड़ी लिए दौड़ाओ मुझको।
छुटपन के फिर रंग दिखाऊँ,  
रूठूँ मैं बहलाओ मुझको।
 मम्मी देखो बात मान लो...।।

तरह-तरह की करूँ शरारत,
 दे दो घोड़ागाड़ी मुझको।  
बाल अदाएँ नटखट-नटखट,
फिर से मैं दिखलाऊँ तुमको।
मम्मी देखो बात मान लो...।।

2- नभ गंगा

एक छुअन तेरी मिल जाती,
यह धरती सारी हिल जाती।

गगनलोक में विचरण करता,  
मंगल पे निलय बना लेता।
भर देता माँग सितारों से,  
हर पत्रक कमल बना देता।
नभगंगा भी खिल-खिल जाती,  
सरिता सागर से मिल जाती।

कर नीलांबर को निजवश में,  
चाँदनी संग मैं इठलाता।
धर राहु-केतु को मुट्ठी में,
कटु-रोदन को मैं तड़पाता।
याद न तेरी पल-पल आती,  
तृष्णा उत्कट भी गल जाती।

सावन आता इस जीवन में,
होता नवप्रभात का फेरा।
सूरज भी डाल रहा होता,
 मेरे घर में अपना डेरा।
मोम इश्क़ की गल-गल जाती,  
केसर फुलवारी खिल जाती।

मिल न सकी वो छुअन सुनहरी,
इंतज़ार में मैं बैठा हूँ।
इन हाथों में ब्रह्मांड धरे,  
जीवन निर्जन कर बैठा हूँ।
तू आती मुझमें मिल जाती
संसृति मुस्काती खिल जाती।




                                                       
                                                       
सम्पर्क:
24/18, राधा नगर, फतेहपुर (उ.प्र.)-212601

वार्तासूत्र : +91 9839942005 ई-मेल : doctor_shailesh@rediffmail.com