जब्बार हुसैन लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
जब्बार हुसैन लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

सोमवार, 16 मई 2016

कहानी : चाटूकारिता की बल्ले बल्ले -जब्बार हुसैन






            बहुत समय पहले की बात है एक राजा  था । उसकी कीर्ति बहुत दूर दूर तक फैली हुई थी। उसने आसपास के सभी राजाओं को युद्ध में हराकर अपने अधीन कर लिया था।उसकी ताकत के चर्चे दूर दूर तक फैले हुए थे। लेकिन उसकी एक बुरी आदत भी थी कि वह हमेशा  अपने चाटूकारों से घिरा रहता था।राजा अपना जो भी काम करता वो चाटूकारों के कहने पर ही करता था।चाटूकार जो भी चाहते राज्य में वही होता था।और एक मजे की बात थी कि सभी चाटूकार एक नम्बर के कामचोर और डरपोक  थे ।और जो लोग महल में कार्य करते थे चाटूकार उनके काम को राजा के सामने कुछ इस तरह से पेश करते कि बाकी लोगों के काम का श्रेय भी उन्हीं को मिलता।राजा उन पर बहुत विश्वास करता था।लेकिन वे चारो चाटूकार राजा की इसी बात को फायदा उठाते थे।

             इस बात से महल के सभी कर्मचारी बहुत परेशान थे।और चाटूकारों की दुकान बड़े मजे से चल रही थी।कभी कोई दरबारी हिम्मत करके राजा से उनके बार में कोई बात कहने की हिम्मत जुटाता तो राजा उसे ही कठोर दंड देकर चुप करा देता। इस बात से सभी दरबारी भयभीत थे । जब भी कभी जनता अपनी परेशानी लेकर राजा के सामने जाती तो राजा के चाटूकार उन्हें राजा से मिलने भी नहीं देते थे पूरे राज्य में उन चाटूकारों की वजह से राजा की थू थू हो रही थी और अब जनता को राजा के ऊपर से भरोसा उठ चुका था।कोई भी राज्य का व्यक्ति राजा के पास अपनी समस्या लेकर नहीं जाता था । सभी इस बात को समझ चुके थे कि राजा के पास अपनी समस्या ले जाना बेकार है क्योकि हमारी समस्या का हल तो होगा नहीं ।

             धीरे धीरे ये बात दूसरे राज्यों तक भी फैल गयी और दूसरे राज्य के लोग इसी बात के इन्तजार में थे और वे सही मौके की तलाश में रहने लगे जैसे ही उन्हें सही मौका मिला सभी राजाओं ने मिलकर उस राज्य के ऊपर आक्रमण कर दिया। आक्रमण की खबर मिलते ही कुछ राजा के वफादार चाटूकारों के पास आए और तीनों चाटूकारों को इस बात की सूचना दी कि पडोसी देश की सेना ने हमला कर दिया है और दुशमन सेना शहर के नजदीक पहुंच चुकी हैं। लेकिन चाटूकारों ने इस बात को राजा से छिपा लिया और राजा को अपनी बातांे में फंसा कर गुमराह कर दिया और राजा आक्रमण का जवाब देने की बजाए चाटूकारों के साथ शिकार खेलने निकल पड़ा।


                   ऐसे वक्त पर राजा का चाटूकारों के साथ शिकार पर जाना पूरी सेना का मनोबल टूट गया।राजा को दुशमन सेना की गतिविधियों का कुछ पता नहीं चल पाया और दुशमन सेना राजा के शहर में घुस गयी । प्रजा द्वारा राजा को इसकी सूचना नहीं दी गयी । क्योंकि प्रजा पहले ही राजा से परेशान हो चुकी थी। राजा के शिकार से वापस आने पर इस बात का पता चला। अब चाटूकार भी इस बात को समझ चुके थे कि अब यदि हम युद्ध लड़ते हैं तो हम सभी मारे जायेंगे । इसलिए उन्होंने इस बात को भी राजा से छुपाना ही उचित समझा। धीरे धीरे सेना महल के द्वार पर आ गई। सभी राजा के चमचे और चाटूकार थर थर कांप रहे थे। वे सभी समझ चुके थे कि अब हमारा मरना तय है। तभी सेनापति ने उन चाटूकारों से बच कर सीधे राजा से मिलने का निश्चय किया और वह कामयाब हो गए। उसने राजा से कहा हे राजन हम चारों तरफ से घिर चुके हैं। हमारे बच निकलने के सभी रास्ते दुशमन सेना द्वारा बंद कर दिए गए हैं। हमें क्या करना चाहिए।

            राजा ये सुनकर सेनापति पर बहुत गुस्सा हुआ। उसने कहा इस बात की खबर हमें पहले क्यों नहीं दी गई । सेनापति ने कहा महाराज इस बात की खबर आप तक कई बार पहुचानें की कोशिश की गई लेकिन हर बार आप के सबसे ज्यादा करीब रहने वाले सबसे ज्यादा कामचोर और कमजोर लोगों की जो मंडली आपने अपने चारों तरफ खड़ी की हुई है । वह हमेशा हमें ये कह कर टाल देते थे कि हम इस बात को राजा से कह देगें और हमें बाहर से ही वापस लौटना पड़ता था। फिर राजा ने पूछा कि हमारे गुप्तचरों ने भी हमें इस बात की सूचना क्यों नहीं दी सेनापति ने कहा महाराज गुप्तचरों ने भी कई बार आपसे मिलने की कोशिश की लेकिन हर बार की तरह उन्हें भी लौटा दिया गया। उन्हें युद्ध के नाम से भी डर लगता था। इसलिए उन्होंने इस बात को आपसे से हमेशा छुपा के रखा।

                राजा को अब अपने उपर पछतावा हो रहा था । राजा को अपनी गलती समझ में आ चुकी थी। राजा ने सोचा सबसे पहले में इस सभी चाटूकारों को ही मार डालता हूँ लेकिन पूरा महल ढूंढने पर भी राजा को अपने चारों  चाटूकारों का कहीं पता नहीं चला। वे भाग चुके थे।राजा के सामने अब कोई रास्ता नहीं था। और राजा ने अपनी हार स्वीकार करके आत्मसमर्पण कर दिया । राजा गिरफतार हो चुका था। राजा को दरबार में पेश किया गया।राजा से उसकी आखिरी ख्वाइश पूछी गई राजा ने कहा कि मैं अपने चारो दरबारियों को अपनी आंखों के सामने फांसी पर लटकता हुआ देखना चाहता हूं।राजा की आखिरी ख्वाइश पूरी की गई और चाटूकारों को फांसी पर लटका दिया गया। और राजा को अपनी बाकी की पूरी जिन्दगी जेल की काल कोठरी में बितानी पड़ी। और इस तरह कुछ कामचोर और डरपोक चाटूकारों की वजह से एक राजा का अन्त हुआ।


संपर्क-
रा0 इ0 का0 पौड़ीखाल
टि00 उत्तराखण्ड
मोबा0-9897597707