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बुधवार, 6 जून 2012

देखो कितने लदे-फदे हैं पेड़


   देखो कितने लदे-फदे हैं पेड़ 


           इन दिनों राजकीय इंटर कालेज देवलथल के प्रांगण के चारों ओर बोटल ब्रूश अपने पूरे शबाब में हैं। फूल-पत्तियों से लदे-फदे पेड़ बहुत ही मनमोहक दृश्य प्रस्तुत कर रहे हैं। उन्हें देख मन आनंदित हो उठता है। इस सुंदर दृश्य को देख विचार आया क्यों न इसका कुछ रचनात्मक उपयोग किया जाय ताकि विद्यालय की पाक्षिक दीवार पत्रिका ’उमंग’ के लिए कुछ सामग्री तैयार हो सके। बच्चों को एक पंक्ति दे दी गई- देखो कितने लदे-फदे हैं पेड़। कक्षा छः से नौ तक के बच्चों ने अपने-अपने अंदाज में कविता को आगे बढ़ाया। कम से कम चार पंक्तियाँ तो सभी बच्चों ने अपने-अपने अंदाज में लिखी ही। अधिकांश बच्चे तो उतना ही देख पाए जो उनकी खुली आँखों ने देखा पर कुछ बच्चों ने इस दृश्य को ’ मन की आँखों ’ से देखा और उनकी कल्पना की उड़ान उन्हें बहुत दूर तक ले गई।  जिसके चलते उनकी अभिव्यक्ति में हम कवितापन दिखाई देता है। प्रस्तुत हैं यहाँ ’उमंग’ के संपादक अंकित चौहान   कक्षा-12 द्वारा चयनित तीन कविताएं- 
देखो कितने लदे-फदे हैं पेड़ 
सुंदर कितने हरे-भरे हैं ये पेड़। 
                लटके इनमें लाल-लाल गहने
                हरियाली छायी हरे वस्त्र पहने। 
देखो कितना मन को भाए हैं पेड़
प्यारी-प्यारी कलियाँ लाए हैं पेड़ ।
                इनकी खुशबू है कितनी महकदार 
                देखने में हैं ये कितने चहकदार। 
फूल खिलाकर लाए हैं ये पेड़
सबके मन को लुभाए हैं ये पेड़। 
                                                   -----पूजा शर्मा कक्षा -9 

 देखो कैसे लदे-फदे हैं पेड़ 
लाल फूल और हरियाली से लदे-फदे हैं पेड़ ।
                 भौंरे इनमें गुन-गुन करते 
                फूलों से रस चुन-चुन लेते।
प्यारे-प्यारे फूल दिखाते 
मन को बहुत हैं हरषाते। 
                 एक नई उमंग दिलाते
                 ठंडी-ठंडी हवा भी लाते। 
देखो कैसे लदे-फदे हैं पेड़ 
लाल फूल और हरियाली से लदे-फदे हैं पेड़ ।
                 भंवरे गीत सुनाते हैं
                 खुशहाली वे लाते हैं। 
पृथ्वी का सौंदर्य बढ़ाते हैं 
लहराकर शीश झुकाते हैं।
                  पेड़ों से उम्मीद जुड़ी है
                  जुड़ा है सारा संसार
पेड़ों से मिला ये जीवन 
जीवन से मिलता है प्यार । 
देखो कैसे लदे-फदे हैं पेड़ 
लाल फूल और हरियाली से लदे-फदे हैं पेड़ ।
                                                  ---- सूरज प्रकाश   कक्षा-9
देखो कैसे लदे-फदे हैं पेड़ 
कितने सुंदर लग रहे हैं पेड़
               लाल-लाल गहनों से सजे हैं पेड़ 
               रेशम के फूलों से लदे हैं ये पेड़। 
कितने सुंदर फूल खिले हैं
कितने अच्छे-अच्छे फूल। 
                  कितनी मधुर छाया मिल रही  इन पेड़ों से 
                  भंवरे खेल रहे हैं पेड़ों के सुंदर फूलों  से। 
कितनी चिड़ियों के ये घर हैं 
सुनाई देते उनके मधुर स्वर हैं। 
                  इन पेड़ों से कितनी ठंडी हवा मिल रही
                   अपने मन की कली-कली खिल रही। 
                                                           ----- सूरज भट्ट कक्षा-9                                            प्रस्तुति- महेश चंद्र पुनेठा