रविवार, 19 अक्तूबर 2014

तुम्हारे पक्ष में-नित्यानंद गायेन



                                                     नित्यानंद गायेन 

         पश्चिम बंगाल के भ्रमण के पश्चात 20-25 दिनों तक नेेेेट से लगभग दूर ही रहा। परन्तु घूमने का आनंद ही कुछ और था। और एक बंगाली कवि मित्र मेरी यादों में बार-बार घूम रहे थे जिनकी कविताएं पोस्ट करते हुए हमें बहुत खुशी महसूस हो रही है।
तो प्रस्तुत है नित्यानंद गायेन की दो कविताएं-

जल आन्दोलन
जल आन्दोलन में
वे सबसे आगे रहे
पानी पर लिखी उन्होंने ढेरों कविताएँ
किसान की कथा लिखी कागजों पर
कुछ ने उन्हें जनकवि कह दिया
अपनी विचारधारा के पक्ष में
उन्होंने भी की लंबी - लंबी बातें
आजकल उनकी सभाओं में
बड़ी कम्पनी का बोतलबंद पानी आता है

तुम्हारे पक्ष में


हाँ यही गुनाह है
कि मैं खड़ा हूँ तुम्हारे पक्ष में
यह गुनाह राजद्रोह से कम तो नही
यह उचित नही
कि कोई खड़ा हो
उन हाथों के साथ जिनकी पकड़ में
कुदाल, संभल,हथौड़ी , छेनी हो
खुली आँखों से गिन सकते जिनकी हड्डियां हम
जो तर है पसीने से
पर नही तैयार झुकने को
वे जो करते हैं
क्रांति और विद्रोह की बात
उनके पक्ष में खड़ा होना
सबसे बड़ा जुर्म है

और मैंने पूरी चेतना में
किया है यह जुर्म बार-बार

संपर्क-1093,टाइप-दो,आरके पुरम,सेक्
र-5
नई दिल्ली-110022
मोबा0-09642249030

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