सोमवार, 10 नवंबर 2014

कविता-बादल मामा: डॉ0 सुरेन्द्र दत्त सेमल्टी




       डॉ0 सुरेन्द्र दत्त सेमल्टी ने यथार्थ के धरातल पर बच्चों के लिए कई सारे सराहनीय कार्य किये हैं। बच्चों की रचनाधर्मिता को आगे लाने में सतत प्रयत्नशील रहने वाले सेमल्टी जी को उत्तराखण्ड सरकार ने शैलेश मटियानी राज्य शैक्षिक पुरस्कार से पुरस्कृत भी  किया है। अब तक इनकी 6 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं।फिलहाल ये एक राजकीय विद्यालय में प्रधानाचार्य के पद पर कार्यरत हैं।

प्रस्तुत है इनकी एक कविता-बादल मामा

बादल मामा तुम महान
धरती की बढाते हो शान
नित रहते हो तुम आकाश
मैं भी आना चाहता पास
पंख नहीं हैं मेरे पास
पर उड़ना चाहता हूं आकाश
सपना ऐसा देखता रोज
जीवन बनाना नहीं चाहता बोझ
मामा जी तुम पकड़ो हाथ
रहेंगे सदा हम दोंनो साथ
सीखूंगा मैं वह सब गुण
जिनमें आप सदा निपुण
बदलते रंग रूप आकार
उड़कर समुद्र को करते पार
गरजते,चमकते, बरसते नित्य
छिपा नहीं किसी से यह सत्य
सींचते वृष्टि से सदा धरा
बनता उसका तब रंग हरा
खुशहाली सम्मपन्नता है आती
दुख-दरिद्रता सब भग जाती
मैं भी चाहता धरती का हित करता
महान कार्य में क्या है डरना
बादल मामा मुझको खींचो
ज्ञान से मेरे मन को सींचो।
संपर्क-
पुजार गांव , हिण्डोलाखाल , टिहरी गढ़वाल  , उत्तराखण्ड ,249122
मोबा - 09690450659

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