गुरुवार, 1 जनवरी 2015

उनके लिए समान है,नया-पुराना साल: पीयूष कुमार द्विवेदी 'पूतू'








                                                                    पीयूष कुमार द्विवेदी 'पूतू'




दोहे
चौराहे पर खिंच रहा,अब पंचाली चीर।
  खुद में मोहन मस्त हैं,किसे सुनाए पीर॥

मिले किसी को दूध ना,कोई चाभे खीर।
देख-देख दिल रो रहा,किसे सुनाए पीर॥

मेरा मन घायल हुआ,खा नैनों के तीर।
दिल का खोया चैन सब,किसे सुनाए पीर॥

ए.सी.में रहने लगे,जितने रहे फकीर।
निर्धन मरते भूख से,किसे सुनाए पीर॥

दुखिया हैं माता-पिता,मनवा बड़ा अधीर।
  किया सुतों ने जो अलग,किसे सुनाए पीर॥

कौन यहाँ सुनता भला,रहा नहीं मन धीर।  
सबने मुझको है ठगा,किए सुनाए पीर॥

बेटी पढ़ती इसलिए,होवे ताकि विवाह।
 पढ़ सुत पावे नौकरी,सारे घर की चाह॥

बेटी मारेँ गर्भ में,और पूजते शक्ति।
'पूतू' कैसा धर्म है,कैसी है यह भक्ति॥


मुझे न मारेँ गर्भ में,बेटी करे पुकार।  
मेरी क्षमता को ज़रा,करे आप स्वीकार॥

उनके लिए समान है,नया-पुराना साल।
 जो खाते रोटी-नमक,मिले न जिनको दाल॥




संप्रति- अध्यापनरत जगद्गुरु रामभद्राचार्य विकलांग 
            विश्वविद्यालय चित्रकूट में।  
संपर्क-   ग्राम-टीसी,पोस्ट-हसवा,जिला-फतेहपुर 

               (उत्तर प्रदेश)-212645 मो.-08604112963 
            ई.मेल-putupiyush@gmail.com

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