समकालीन रचनाकारों में प्रमुख स्थान रखने वाले शिरोमणि महतो की कविताएं सरल शब्दों में बड़ा वितान रचती हैं । कवि अपने लोक से कितना जुड़ा है । यह तो इन कविताओं को पढने के बाद ही जान पाएंगे।
युवा कवि शिरोमणि महतो की कविताएं
नदी
मेरी माँ मेरे सर पर
हाथ रखती है
और एक नदी
छलछलाने लगती
-मेरे ऊपर
मेरी बहन कलाई में
राखी बांधती
और एक नदी
उडेल देती सारा जल
-मुझ पर
मेरी पत्नी होठों पर
एक चुम्बन लेती
और एक नदी
हिलोरे मारने लगती
-मेरे भीतर
माँ बहन और पत्नी
एक स्त्री के कई रूप
और एक नदी के
कई प्रतिरूप !
कोदो भात
कोदो गोंदली मंहुआ
अब देखने को नहीं मिलते
उखड़ गई इन फसलों की खेती
जैसे हम उखड़ गये अपनी जड़ों से !
आज कोदो का भात दुर्लभ है
लेकिन कहावत अभी जिन्दा है-
हाम तो बाप पके कोदो नायं खाईल हियो
पहले कोदो चावल से भी ज्यादा भोज्य था
तभी तो बनी थी-यह कहावत
धीरे-धीरे चावल भी छूटता जा रहा
और उसकी जगह लेता जा रहा
अब चौमीन-चाईनीज फूड....
जैसे-जैसे कोदा से चावल
और चावल से चाईनीज फूड
वैसे-वैसे भारत से इंडिया
होता जा रहा अपना देश....!
पता : नावाडीह, बोकारो, झारखण्ड-829144 मोबाईल : 9931552982
जीवन से संवाद करती कविताएं...
जवाब देंहटाएंvery nice..
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी कविताएं हैं
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी कविताएं हैं
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