शिक्षा : बीएससी , पीजीडीएमएम , डीटीएम
कार्य : स्वतन्त्र पत्रकारिता एवं लेखन के
सभी आयामों में देश भर में समय - समय पर प्रकाशित।
"ऑडियोग्राफी की उड़ान " ,
" ध्वनि के बाजीगर " एवं " दोहा संग्रह" , दोहों के दंश " , पुस्तकें प्रकाशित।
" भोजपुरी सिनेमा : तब अब सब " प्रकाशनाधीन
कई हिंदी एवं भोजपुरी फिल्मों का संवाद एवं
गीत लेखन
संप्रति " दी साउन्ड एसोसिएशन आफ इंडिया
" का कार्यपालक सचिव
बेटियां
कल तक खन -खन चूड़ियां बजाती
हुई ऊपले थापने
घर के लिये भूख -प्यास पर भारी पड़ने
नापी -जोखी हुई जमीन
पर परिक्रमा करने
और आंसुओं के ताल में मुस्कुराहटों के कमल खिलाने वाली
साड़ी ,सिंदूर और चूड़ियों तक महदूद बेटियां
आज
न
सिर्फ चला रही हैं ट्रैनें
बल्कि
चला रही हैं देश भी
सिर्फ भर नहीं रहीं ,बैठे -बैठे
सपनों की उड़ान
बल्कि
हकीकत में उड़ाने लगी हैं लड़ाकू विमान
विकास की परछाईयों से बहुत
दूर
सुहागन बनकर आंगन में गंगा
नहाती
पति के पांवों में तीरथ धाम
तलाशती
जातकों
की निश्छल हंसी में मंजिलें छूती
धूप के फैलाव में समय की सूई टटोलती
एक जिस्म पर ओढ़कर ,रिश्तों के कई -कई चादर
गर्दिश और गुमनामी के गर्द में नहाकर भी
जिस तरह करती है मन की सुंदरता को अभिव्यक्त
क्या कर पायेगी किसी प्रेमचंद की कलम
मकबूल की कूंची
और किसी सम्वेदनशील फिल्मकार की सिने-कृति ?
घर की दहलीज पर
दुनिया का ग्लोब देखती ,
चूल्हे के धुओं में अपना अक्स निहारती
परम्पराओं की लीक
पर
बंद आंखों से डग भरती
इस खूंटे से उस खूंटे तक बंधती
विपत्तियों की बाढ़ में साहस के पतवार से
जिंदगी की नाव खेती बेटियां
तो बस बेटियां ही होती हैं -
जैसी साहूकार की वैसी चर्मकार की..
स्थाई पता : गीधा , भोजपुर (बिहार )
वर्तमान पता :
अंजनी श्रीवास्तव
ए - 223 , मौर्या हाऊस
वीरा इंडस्ट्रियल इस्टेट ऑफ ओशिवरा लिंक रोड
अंधेरी (पश्चिम ), मुम्बई - 400053
दूरभाष – 9819343822
email :- anjanisrivastav.kajaree@gmail.com
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जवाब देंहटाएंसार्थक कविता के लिए कवि को हार्दिक बधाई....
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
हटाएंमर्म को छूती हुई कविता
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
हटाएंमर्म को छूती हुई कविता
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
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