जन्म :१ मार्च १९८० ग्राम खेमीपुर,नवाबगंज जिला गोंडा ,उत्तर - प्रदेश
दैनिक जागरण, हिदुस्तान ,कादम्बनी,आदि में रचनाएँ प्रकाशित
बालिका -जन्म गीत पुस्तक प्रकाशित
२००१ मैं बालकन जी बारी संस्था द्वारा राष्ट्रीय युवा कवि पुरस्कार
२००३ बालकन जी बारी -युवा प्रतिभा सम्मान आकाशवाणी इलाहाबाद से कार्यक्रम प्रसारित
परिनिर्णय- कविता शलभ संस्था इलाहाबाद द्वारा प्रकाशित
अमरपाल सिंह आयुष्कर की कविताएं
1 - तुम आ जाओ तोतुम आ जाओ तो सुधियों की गांठें खोलूं
सजी हथेली , चूड़ी पायल
मन की सारी बातें बोलूं
तुम आ जाओ तो सुधियों की गांठें खोलूं
सावन के घन , तपन जेठ की
सरदी की औकातें तोलूँ
तुम आ जाओ तो सुधियों की गांठें खोलूं
देहरी का दीवा , चौबारे की तुलसी
बेरंग तन-मन
फिर फगुआ की , गागर घोलूं
तुम आ जाओ तो सुधियों की गांठें खोलूं |
2- आँसू ने जन्म लिया होगा
तप-तप के मन के आँगन ने
चटकी दरार का रूप लिया
सावन का बादल फेरे मुंह
चुपके से निकल दिया होगा
गहरी दरार फिर भरने को
आँसू ने जन्म लिया होगा
दो बोल तिक्त –मीठे पाकर
सहमा होगा ,उछला होगा
तपते होंठों पर बूंदों ने
हिमकन - सा काम किया होगा
गहरी दरार फिर भरने को
आँसू ने जन्म लिया होगा
कोई अपना , टूटा सपना
तो कभी पराये दर्द लिए
मन का आंगन पूरा-पूरा
मिट्टी से लीप दिया होगा
गहरी दरार फिर भरने को
आँसू ने जन्म लिया होगा
उलझी –सुलझी रेखाओं के
भ्रम से सहमा जब मन होगा
स्नेह भरा दीपक बनकर
रातों का साथ दिया होगा
गहरी दरार फिर भरने को
आँसू ने जन्म लिया होगा |
3- अम्मा की आँखों में .....
अम्मा की आँखों में हमने , जीवन एक हिसाब पढ़ा
गम का दरिया, नाव ख़ुशी की ,
हँसती – गाती लहरों पर ,
है जीवन एक बहाव पढ़ा
अम्मा की आँखों में हमने ,जीवन एक हिसाब पढ़ा
जलते चूल्हे पकती रोटी ,
फगुआ ,चैती ,कजरी होती
और कभी तो गल जाती है दाल सरीखी
ताप सभी सहती रहती
है जीवन एक अलाव पढ़ा
अम्मा की आँखों में हमने , जीवन एक हिसाब पढ़ा
आँचल का कोना सिलती या
बना रही होती कथरी ,
सबको मन की पीर सुनाना न बदरी
ढँक देना कुछ
है जीवन एक लिबास पढ़ा
अम्मा की आँखों में हमने , जीवन एक हिसाब पढ़ा
सपनीली - सतरंगी आँखे कायम हों
उठे भले ना सपनों की दीवार कोई
आज नही तो कल पूरी हो जायेंगी
तिनका –तिनका हाथ चलाते ही जाना
है जीवन इक विश्वास पढ़ा
अम्मा की आँखों में हमने , जीवन एक हिसाब पढ़ा |
संपर्क सूत्र-
अमरपाल सिंह ‘आयुष्कर’
G-64 SITAPURI
PART-2
NEW DELHI
1100045
मोबा0-8826957462
बहुत अच्छी कविताएं..
जवाब देंहटाएंधन्यवाद सर
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