सोमवार, 14 अगस्त 2017

अरुण कुमार सिंह गौरव की गजलें



1- हिन्दी कहां है

हिन्दी सपना है हमारी हकीकत नहीं है।
राजभाषा के साथ विचित्र विडम्बना रही है।।

सार्वजनिक सम्मान देने से कुछ नहीं होगा।
आज भी ये चौखट के बाहर खड़ी है।।

कभी तो बुलाएंगे आप इसे घर में ।
राष्ट्रभाषा इस आस में कब से पड़ी है।।

हिन्दी के परखचे उड़ रहे हैं देखिए।
अंग्रेजी की ऐसी यहां आंधी चली है।।

देश आजाद हुआ पर हिन्दी आज भी।
अंग्रेजी के साथ में जी रही है।।

पुरखों ने इसे लहू से सींचा था।
आप नमाने मगर बात ये सही है।।

हिन्दी भी अंग्रेजी में लिखने वालों कहिए।
क्या ये हिन्दी की अर्थी सजी है।।

दुनिया के किसी आजाद देश में गौरव।
राष्ट्रभाषा का हरगिज ऐसा तिरस्कार नहीं है।।



2- हिन्दी क्या है

भारत की आन बान और शान हिन्दी है।
हम सबकी विदेश में पहचान हिन्दी है।।

हर भाषा प्यारी है इंकार नहीं लेकिन।
जनगण का केवल प्यार नहीं अभिमान हिन्दी है।।

स्वाधीनता संग्राम का इतिहास कहता है।
हमारी आजादी का एक बरदान हिन्दी है।।

कश्मीर से कन्याकुमारी तक जो भी मुद्दे हैं।
उन सारे विवादों का समाधान हिन्दी है।।

आजादी के दीवानों की चाहत इसको कहिए।
गांधी सुभाष के दिल का अरमान हिन्दी है।।

अगर सच कहने का अधिकार मिले तो।
हमारे अमर शहीदों का बलिदान हिन्दी है।।

कहने वाले तो यहां तक कहते हैं।
भारत में रहने वाला हर इंसान हिन्दी है।।

भारत को जब माता मान लिया है गौरव।
तो इसकी मर्यादा का परिधान हिन्दी है।।

संपर्क-
अरुण कुमार सिंह गौरव
चरौंवां बलिया उ0 प्र0 221718
मोबा0-8858604936

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