20 जनवरी
1981 को शिखरबाली,
प0
बंगाल में
जन्में
नित्यानंद गायेन की कवितायें और
लेख सर्वनाम,
अक्षरपर्व, कृति ओर,
समयांतर, समकालीन
तीसरी दुनिया,
जनसत्ता, हिंदी
मिलाप आदि पत्र-पत्रिकाओं में
प्रकाशन
का
शतक।
अपने
हिस्से
का
प्रेम
नाम
से
एक
कविता
संग्रह
प्रकाशित । अनवर सुहैल के संपादन में संकेत द्वारा कविता केंद्रित अंक।
संप्रति- अध्यापन
नित्यानंद गायेन की तीन कविताएं-
देवता
नाराज़
थे
खाली
हाथ
वह
लौट
आया
मंदिर
के
दहलीज
से
नहीं
ले
जा
सका
धूप-
बत्ती,
नारियल
तो
देवता
नाराज़
थे
झोपड़ी
में
बिलकते
रहे
बच्चे
भूख
से
भगवान
एक
भ्रम
है
मान
लिया
उसने
मुद्दत
से
उगाया
जाता
है
इन्हें
कुछ साये
ऐसे
भी
होते
हैं
जिनका
कोई
चेहरा
नहीं
होता
नाम
नहीं
होता
केवल
भयानक होते हैं
नफ़रत
की
बू आती है
भय
का
आभास
होता
है
कहीं
भी
हो
सकते
हैं
अयोध्या
में
गोधरा
में
इराक
या
अफगानिस्तान
में
किसी
भी
वक्त
इंसानी
खून
से
रंगे
हुए
हाथ
इनकी
पहचान
है
कोई
मज़हब
नहीं
इनका
ये
साये
खुद
के
भगवान् होते हैं
खुद
नहीं
उगते
ये
मुद्दत
से
उगाया
जाता
है
इन्हें
राख
हुए
सपने
गुलाबी के
सपने
तो
बहुत
थे
उन्हें
तोड़ने
वाले
कहाँ
कम
थे
रंगीन
चूड़ियों
का सपना
सहृदय
बालम
का
सपना
सबको अपना
बनाने का सपना
जलाई जाएगी
उसे
केरोसिन
डालकर
नहीं
था
ये
सपना
गुलाबी
का
पर
राख
हुए
सब
सपने
गुलाबी
के
साथ