रविवार, 3 मार्च 2013

लघु कथा- डिग्री-डिप्लोमा






















डिग्री-डिप्लोमा


डिग्री और डिप्लोमा का पुलिंदा अपने सिर पर रखकर वह नौकरी के लिए यहां-वहां भटक रहा था।
अनुभव !
अनुभव ! !
अनुभव ! ! !
इस तरह अनेक कंपनियों ने उसे अनुभवहीन घोषित कर घर पर बैठने के लिए मजबूर कर दिया।
‘‘काश, मां के पेट से ही डिग्री-डिप्लोमा और काम
- काज का अनुभव लेकर पैदा हुआ होता।’’
उसने सोचा।
एक दिन पिता जी ने उसे कागज का एक फर्रा थमा दिया।
‘‘ये क्या है।’’
‘‘सिफारिश पत्र ! ’’
‘‘सिफारिश पत्र ! ’’ उसने हैरानी से कहा।
‘‘हां बेटा ! ’’ पिता जी बोले
- मान्यवर विधायक जी से लिखवाकर लाया हूं।तुम्हारे सभी डिग्री -डिप्लोमाओं का बाप है ये फर्रा । एक बार जाओ तो सही।
अगले दिन ही वह जिस कम्पनी में गया, तुरंत उसकी नौकरी लग गयी।










 










 







 संपर्क-

खेमकरण   सोमन    
शोधार्थी 
प्रथम कुंज, अम्बिका विहार, ग्राम डाक-भूरारानी, रुद्रपुर
जिला- ऊधमसिंह नगर -263153
मोबा -09012666896
ईमेल-somannainital@gmail.com

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