मैं बहुत विचलित हूँ इस शहर में अब ..
आज मैंने फिर
देखा है
सड़कों पर
इंसानी खून
मांस के चीथड़े
लहूलुहान इंसानियत
भेड़ियों ने दिन दहाड़े किया अपना काम
जिनके कंधों पर था
सुरक्षा का भार
वे सोते रहे गहरी नींद में
चारमीनार पर फिर से
दीखने लगीं हैं दरारे
खामोश है गोलकुंडा
बूढ़े खंडहर के रूप में
शांतिदूत गौतमबुद्ध की प्रतिमा
हुसैन सागर के बीच
एक दम नि:शब्द
मैं बहुत विचलित हूँ
इस शहर में अब
.....
21/02/2013 की शाम हैदराबाद में हुए बम विस्फोट के बाद लिखी
एक रचना
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हैदराबाद बम विस्फोट 2013 में अब तक 16 व्यक्तियों की मृत्यु हो
चुकी है। 6 मरणासन्न व्यक्तियों सहित लगभग 120 लोग घायल हैं।
आपकी इन पंक्तियों में हम सबकी आवाज भी शामिल है |
जवाब देंहटाएंबेहद मार्मीक...
जवाब देंहटाएंबेहद मार्मीक..
जवाब देंहटाएंAnil Kumar
हादसे को सुनना और दूर से देखना या हादसों के बीच होने में अनुभूति की सघनता का जो अंतर है वो यहाँ अनुभव किया जा सकता है
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