मंगलवार, 26 फ़रवरी 2013

मैं बहुत विचलित हूँ इस शहर में अब ..

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

मैं बहुत विचलित हूँ इस शहर में अब ..




आज मैंने फिर देखा है

सड़कों पर इंसानी खून
 
मांस के चीथड़े
 
लहूलुहान इंसानियत
 

भेड़ियों ने दिन दहाड़े किया अपना काम
 
जिनके कंधों पर था
 
सुरक्षा का भार
 
वे सोते रहे गहरी नींद में
 

चारमीनार पर फिर से
 
दीखने लगीं हैं दरारे
 
खामोश है गोलकुंडा
 
बूढ़े खंडहर के रूप में 

शांतिदूत गौतमबुद्ध की प्रतिमा

हुसैन सागर के बीच

एक दम नि:शब्द 
 

मैं बहुत विचलित हूँ
 
इस शहर में अब

 .....

21/02/2013 की शाम हैदराबाद में हुए बम विस्फोट के बाद लिखी
 एक रचना
 .
  हैदराबाद बम विस्फोट 2013 में अब तक 16  व्यक्तियों की मृत्यु हो 
चुकी है। 6 मरणासन्न व्यक्तियों सहित लगभग 120 लोग घायल हैं।

4 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इन पंक्तियों में हम सबकी आवाज भी शामिल है |

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  2. बेहद मार्मीक..
    Anil Kumar

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  3. हादसे को सुनना और दूर से देखना या हादसों के बीच होने में अनुभूति की सघनता का जो अंतर है वो यहाँ अनुभव किया जा सकता है

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