आम कुतरते हुए सुए से
आम कुतरते हुए सुए से
मैना कहे मुंडेर की |
अबकी होली में ले आना
भुजिया बीकानेर की |
गोकुल ,वृन्दावन की हो
या होली हो बरसाने की ,
परदेशी की वही पुरानी
आदत है तरसाने की ,
उसकी आंखों को भाती है
कठपुतली आमेर की |
इस होली में हरे पेड़ की
शाख न कोई टूटे ,
मिलें गले से गले ,पकड़कर
हाथ न कोई छूटे ,
हर घर -आंगन महके खुशबू
गुड़हल और कनेर की |
चौपालों पर ढोल मजीरे
सुर गूंजे करताल के ,
रूमालों से छूट न पायें
रंग गुलाबी गाल के ,
फगुआ गाएं या फिर बांचेंगे
कविता शमशेर की |
आम कुतरते हुए सुए से
मैना कहे मुंडेर की |
अबकी होली में ले आना
भुजिया बीकानेर की |
गोकुल ,वृन्दावन की हो
या होली हो बरसाने की ,
परदेशी की वही पुरानी
आदत है तरसाने की ,
उसकी आंखों को भाती है
कठपुतली आमेर की |
इस होली में हरे पेड़ की
शाख न कोई टूटे ,
मिलें गले से गले ,पकड़कर
हाथ न कोई छूटे ,
हर घर -आंगन महके खुशबू
गुड़हल और कनेर की |
चौपालों पर ढोल मजीरे
सुर गूंजे करताल के ,
रूमालों से छूट न पायें
रंग गुलाबी गाल के ,
फगुआ गाएं या फिर बांचेंगे
कविता शमशेर की |
फूलों में रंग रहेंगे ....
जब तक
तुम साथ
रहोगी
फूलों में रंग रहेंगे ,
जीवन का
गीत लिए हम
हर मौसम संग
रहेंगे |
जब तक
तुम साथ
रहोगी
मन्दिर में दीप जलेंगे ,
उड़ने को
नीलगगन में
सपनों को पंख मिलेंगे ,
तू नदिया
हम मांझी नाव के
धारा के संग
बहेंगे |
जब तक
तुम साथ रहोगी
एक हंसी साथ रहेगी ,
मुश्किल
यात्राओं में भी
खुशबू ले हवा बहेगी ,
जब तक
यह मौन रहेगा
अनकहे प्रसंग रहेंगे |
तुमसे ही
शब्द चुराकर
लिखते हैं प्रेमगीत हम ,
भावों में
डूब गया मन
उपमाएं हैं कितनी कम ,
तोड़ेंगे वक्त की कसम
तुमसे कुछ आज कहेंगे |
साभार-छान्दसिक अनुगायन
साभार-छान्दसिक अनुगायन
होली की ढेर सारी बधाईयां...
जवाब देंहटाएंprasanganukool ek achhee kavita
जवाब देंहटाएंAchchhi kavitaen..
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