मंगलवार, 7 अप्रैल 2015

सिर्फ और सिर्फ किसान ही महसूसता है : अनवर सुहैल



  09 अक्टूबर 1964  को छत्तीसगढ़ के जांजगीर में जन्में अनवर सुहैल जी के अब तक दो उपन्यास ,एक कविता संग्रह और तीन कथा संग्रह   प्रकाशित हो चुके हैं। कोल इण्डिया लिमिटेड की एक भूमिगत खदान में पेशे से वरिष्ठ खान प्रबंधक हैं। संकेत नामक लघुपत्रिका का सम्पादन भी कर रहे हैं। हमारे समय के बुद्धिजीवियों से प्रकृति के कहर पर कई सवाल करती यह कविता


तो प्रस्तुत है उनकी यह कविता

शादी-लगन का समय है ये
खरीफ की फसल कटाई भी करनी है
लेकिन सरकार की तरह भगवान् को भी
ये का हो गया है रे...
कोई नही सुनने वाला
चैत में ओला-पाथर-पानी
कैसे कटेगी जिनगानी हो रामा...

विश्व-बाज़ार में घटा कच्चे तेल का दाम
इस्लामी आतंकवादियों ने किये कत्ले-आम
चलती कार में गैग-रेप
गाँव-गिरांव तक पहुंचाई जाती
शीर्ष-पुरुष के मन की बात
जबकि हम झेल रहे बेमौसम बरसात
और खण्ड-खण्ड टूट रहे स्वप्न
छितरा रही आकांक्षाएं
घबराता तन-मन
कोई तो करो जतन
कोई भी देवी-देवता-भगवन
या सब हो अपने ही में मगन....

चैत में बरसात की पीड़ा को
सिर्फ और सिर्फ किसान ही महसूसता है
सत्ता या विपक्ष नही
टीवी या अखबार नही
नेता या पत्रकार नही
और कवि...
बेशक...नही............


सम्पर्क:    टाईप 4/3, ऑफीसर्स कॉलोनी, बिजुरी
          जिला अनूपपुर .प्र.484440 
        फोन 09907978108

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