वागर्थ के फरवरी अंक में मेरी तीन कविताएं प्रकाशित हुई हैं । आप सब लिए पुरवाई ब्लाग में इसे पोस्ट कर रहा हूं। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर दुनिया की आधी आबादी को ढेर सारी शुभकामनाएं। वैसे आज मेरा जन्म दिवस भी है।आज ही के दिन अर्थात 08 मार्च 2015 को शुरू किया गयाा था हम कुछ मित्रों द्वारा साल भर पहले उत्तराखण्ड से शिक्षा तरू अभियान। इस अभियान के बारे में फिर कभी आगे। फिलहाल प्रस्तुत है मेरी तीन कविताएं-
एक विचार
(हरीश चन्द्र पाण्डे की कविताएं पढ़ते हुए)
एक विचार
जिसको फेंका गया था
टिटिराकर बड़े शिद्दत से निर्जन में
उगा है पहाड़ की तरह
जिसके झरने में अमृत की तरह
झरती हैं कविताएं
शब्द चिड़ियों की तरह
करते हैं कलरव
हिरनों की तरह भरते हैं कुलांचे
भंवरों की तरह गुनगुनाते हैं
इनका गुनगुनाना
कब कविता में ढल गया और
आदमी कब विचार में
बदल गया
यह विचार आज
सूरज-सा दमक रहा है।
कितना सकून
देता है
आसमान चिहुंका हुआ है
फूल कलियां डरी हुई हैं
गर्भ में पल रहा बच्चा सहमा हुआ है
जहां विश्व का मानचित्र
खून की लकिरों से खींचा जा रहा है
और उसके ऊपर
मडरा रहे हैं बारूदों के बादल
ऐसे समय में
तुमसे दो पल बतियाना
कितना सकून देता है।
ढाई अक्षर
तुम्हारी
हंसी के ग्लोब पर
लिपटी
नशीली हवा से
जान
जाता हूं
कि
तुम हो
तो
समझ
जाता हूं
कि
मैं भी
अभी
जीवित हूं
ढाई
अक्षर के खोल में।
संपर्क - आरसी चौहान (प्रवक्ता-भूगोल)
राजकीय इण्टर कालेज गौमुख, टिहरी गढ़वाल उत्तराखण्ड 249121
मोबा0-08858229760 ईमेल- puravaipatrika@gmail.com
Ati sundar...
जवाब देंहटाएंबधाई।
जवाब देंहटाएंकविता कोश में आपकी कविताएँ जोड़ी हैं। लिंक नीचे है।
जवाब देंहटाएंhttp://www.kavitakosh.org/kk/%E0%A4%86%E0%A4%B0%E0%A4%B8%E0%A5%80_%E0%A4%9A%E0%A5%8C%E0%A4%B9%E0%A4%BE%E0%A4%A8