मंगलवार, 15 मार्च 2016

लघु कथा : सौभाग्य या दुर्भाग्य- उमा शंकर मिश्र






सौभाग्य या दुर्भाग्य

     आँसू यदि आंखो से निकल जाय तो मन को बहुत राहत मिलती है आँसू ही जीवन है । जिनके आंखो में आँसू नहीं है वहाँ जिन्दगी भी नहीं है । संवेदनशील जिन्दगी के आँसू तो आवश्यक तत्त्व होते हैं। संवेदना अच्छी जिन्दगी की आधार-शीला होती है।

     आज वसावन अपना खेत जोतकर वापस आया। यह तीन विश्वा जमीन उसे ठाकुर ने दिया था। इसलिए कि उसका पूर खेत 30 विघा वह जोतता रहे । वसावन की तीन पीढ़ी इसी में बित गयी थी। पसीन से लथपथ वसावन को 2 सूखी रोटी और पानी मिला हुआ दाल मिला। मंहगी दालें गरीबों के लिए नहीं बोई जाती है। न ही सुलभ कराया जाता है। इसलिए राशन कार्डो पर सरकार दाल उपलब्ध नहीं कराती है।

     बहुत है इससे जिन्दगी की सांस तो चलती रहेगी। गरीबी अभिशाप है कलंक है लेकिन पीढ़ी दर पीढ़ी वसावन की उसी में बित गया।

      खेत में काम करते करते वसावन की खेती से दोस्ती हो गयी थी। आज ठाकुर ने वसावन को 4 विघा जमीन जोतने के साथ गन्ना घेरने की भी सलाह दिया था। वसावन को अपनी दोनों लड़कियों की शादी की चिन्ताएं सता रही  थी । खेत के मेड़ पर जगह जगह बिल थे। पानी जब बिल में जाता था तो जहरीले सांप भी निकलते थे जो वसावन के लिए खतरा सिद्ध हो सकते थे। लेकिन इसकी परवाह वह नहीं करता था। क्योंकि गरीब की जान की कीमत कुछ नहीं हुआ करती खेत में एक विशेष जगह पानी  जाकर रूक जाता है तथा पानी में कुछ तैलीय तत्त्व नजर आ रहे थे।

       वसावन इस प्रक्रिया को कम से कम 20 वर्षों से देख रहा था। वह मालिका को बताय । मालिक ने जिला प्रशासन को इसके बारे में सूचना दिया। जिला प्रशासन ने भूगर्भ विभाग को सूचना के साथ साथ कुछ सकारात्मक कार्य करने के लिए निवेदन किया। आवेदन पर त्वरित कार्यवाही हुई तथा उस जगह की मिट्टी लेकर परीक्षण के लिए प्रयोगशाला में भेजा गया। परीक्षण कामयाब रहा।उस खेत में बहुत बड़ी मात्रा में पेट्रोल मिलने के संकेत मिला। वसावन खुश था । लेकिन ठाकुर नाराज । कहीं ऐसा न हो कि इसका श्रेय वसावन को मिल जाय । वह इसमें बटंवारा करने लगे नकारात्मक विचारों की आंधी में ठाकुर बह गया। और आज वसावन की खाने में जहर मिला दिया । तड़पकर वसावन की मौत हो गयी उस जगह जहां तेल मिलने की संभावना थी अभिशाप समझकर भूगर्भ विभाग ने कार्य करने से मना कर दिया।जिलाधिकारी महेन्द्र ने कार्य स्थगित करा दिया।

       ठाकुर की बेइमानी,छल ,कपट,प्रपंच के कारण एक अच्छा कार्य आगाज होने से पहले समाप्त हो गया।

सम्पर्क:  उमा शंकर मिश्र
          ऑडिटर श्रम मन्त्रालय
          भारत सरकार
          वाराणसी मोबा0-8005303398

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