गुरुवार, 16 जून 2016

बातों का अफवाहें बनना ठीक नहीं- प्रेम नंदन



जन्म - 25 दिसम्बर 1980, फरीदपुर, हुसेनगंज, फतेहपुर (उ0प्र0) |
शिक्षा - एम0ए0(हिन्दी), बी0एड0। पत्रकारिता और जनसंचार में स्नातकोत्तर डिप्लोमा।
परिचय - लेखन और आजीविका की शुरुआत पत्रकारिता से। तीन-चार   वर्षों तक पत्रकारिता करने तथा लगभग इतने ही वर्षों तक इधर-उधर ‘भटकने’ के पश्चात सम्प्रति अध्यापन|
प्रकाशन- कवितायें, कहानियां एवं  लघुकथायें विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं एवं ब्लॉगों में प्रकाशित।
1 -  अफवाहें बनती बातें

सच यही है
कि बातें वहीं से शुरू हुईं
जहाँ से होनी चाहिए थीं
लेकिन खत्म हुईं वहाँ
जहाँ नहीं होनी चाहिए थीं ।

बातों के शुरू और खत्म होने के बीच
तमाम नदियाँ, पहाड़, जंगल और रेगिस्तान आए
और अपनी उॅचाइयाँ , गहराइयाँ , हरापन और
नंगापन थोपते गए ।

इन सबका संतुलन न साध पाने वाली बातें
ठीक तरह से शुरू होते हुए भी
सही जगह नहीं पहुँच पाती-
अफवाहें बन जाती हैं ।

ऐसे विकराल समय में
बातों का अफवाहें बनना ठीक नहीं!


2-मदारी

जब भी लगती है उन्हें प्यास
वे लिखते हैं
खुरदुरे कागज के चिकने चेहरे पर
कुछ बूँद पानी
और धधकने लगती है आग !

इसी आग की आँच से
बुझा लेते हैं वे
अपनी हर तरह की प्यास !

मदारियों के
आधुनिक संस्करण हैं वे
आग और पानी को
कागज में बाँधकर
जेब में रखना
जानते हैं वे !

संपर्क – उत्तरी शकुन नगर, सिविल लाइन्स, फतेहपुर, उ०प्र०-212601,
दूरभाष– 09336453835
ईमेल - premnandan10@gmail.com
ब्लॉग – aakharbaadi.blogspot.in

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