जन्म :१ मार्च १९८० ग्राम खेमीपुर,नवाबगंज जिला गोंडा ,उत्तर - प्रदेश
दैनिक जागरण, हिदुस्तान ,कादम्बनी,आदि में रचनाएँ प्रकाशित
बालिका -जन्म गीत पुस्तक प्रकाशित
२००१ मैं बालकन जी बारी संस्था द्वारा राष्ट्रीय युवा कवि पुरस्कार
२००३ बालकन जी बारी -युवा प्रतिभा सम्मान आकाशवाणी इलाहाबाद से कार्यक्रम प्रसारित
परिनिर्णय- कविता शलभ संस्था इलाहाबाद द्वारा पुरस्कृत
हिंदी हिंदुस्तान की
जाति - धर्म मजहब से ऊँची अधरों के मुस्कान –सी
स्वर्णिम किरीट चन्दन मस्तक का हिंदी है
सदियों से सस्वर गुंजित है ये अलियों के गुंजार –सी
लहराती माँ के आँचल - सी हिंदी हिन्दुस्तान की ,
कहीं कृष्ण का बचपन बनती, कहीं राम की माया
कहीं पे राधा पाँव महावर ,कहीं नुपुर सीता माता
गंगा की निर्मल धार कभी ,कभी भारत माँ का ताज बनी
युग –युग से हंसकर सींचा है ,ये स्वर्ग सरीखा बाग़ भी
लहराती माँ के आँचल - सी हिंदी हिन्दुस्तान की
शिशु की तुतली बोली में कभी खनकती है
बन प्रेम दीवानी मीरा , कभी झलकती है
हो राम , कौसल्या गोद सजी पुष्पित होकर
दसरथ के ह्रदय का बनती कभी विलाप भी
लहराती माँ के आँचल सी हिंदी हिन्दुस्तान की
खेतों का पानी बनी कभी ,कभी गर्जन करती ज्वार दिखी
हरियाली हँसते किसान के गालों के गुलज़ार- सी
भेदभाव को मिटा सभी को गले लगाती रहती है
होली ,ईद ,दिवाली ,क्रिश्मस ,बैसाखी त्यौहार – सी
लहराती माँ के आँचल सी हिंदी हिन्दुस्तान की
राणा की शमशीर कभी , कभी वीर शिवा की बन कटार
आजादी के मतवालों संग ,किया शत्रु पर बज्र प्रहार
रण बीच गरजती रही ,कलिका रूप बनी
फांसी पर झूली कभी शान से, वीरों के बलिदान -सी
लहराती माँ के आँचल -सी हिंदी हिन्दुस्तान की
कहीं जीर्ण वसन की लाज बचाती रहती है
कहीं आंचल सजनी का लहराती रहती है
गोरी के अलकों - पलकों के मादक –मादक मुस्कान –सी
बनती दीपक राग कभी ,कभी बनती मेघ मल्हार भी
लहराती माँ के आँचल- सी हिंदी हिन्दुस्तान की
गैरों की भाषा जब लोगों की बनती शान
अपनों के ही बीच फिरे बनकर अनजान
दुखिया होती जब कुब्जा और अहिल्या- सी
बनकर देव सामान सूर ,तुलसी ने डाली जान भी
लहराती माँ के आँचल सी हिंदी हिन्दुस्तान की |
संपर्क सूत्र-
अमरपाल सिंह ‘आयुष्कर’
G-64 SITAPURI
PART-2
NEW DELHI
1100045
मोबा0-8826957462
अच्छी प्रस्तुती....
जवाब देंहटाएंधन्यवाद भाई
जवाब देंहटाएंसहज व गंभीर कविता..बधाई……
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