14 सितम्बर 1958
शिक्षा- जबलपुर इंजीनियरिंग कॉलेज से सिविल इंजीनियरिंग में स्नातक । लेखन विधाएँ- गीत,ग़ज़ल,दोहे,सवैया,कविता,कहानी,व्यंग्य । प्रकाशित कृति- वर्ष 1995 में श्री प्रकाशन दुर्ग से ग़ज़ल संकलन 'पूछिए तो आईने से' ।
संप्रति- छत्तीसगढ़ जल संसाधन विभाग में सहायक अभियंता के पद पर कार्यरत।
ग़ज़ल
पा गया बंदूक अब कंधे की है दरकार उसको।
है फ़रेबी, कर परे रे, छोड़ गोली मार उसको।।
जो हमें दिन-रात गहरे ज़ख़्म ही देता रहा है।
गर कहें तो किस ज़ुबाँ से यार कह दें यार उसको।।
जो बचेगा बाद में, वो आप ही के नाम होगा।
पर अभी सब ही से पहले, चाहिए है सार उसको।।
सिर्फ़ पत्थर थे भरे, सीने में होना था जहाँ दिल।
हो गई नादानियाँ, समझा किए दिलदार उसको।।
कर चुका बातें बहुत वो बीच अपने नफ़रतों की।
चुप कराने के लिए अब, दो लगा दो-चार उसको।।
पास अपने आ गया शैतान ये जिस पार से है।
'सिद्ध' मिलकर अब चलो हम भेज दें उस पार उसको।।
संपर्क –
ठाकुर दास 'सिद्ध'
सिद्धालय, 672/41,सुभाष नगर,
दुर्ग-491001,(छत्तीसगढ़)
मो-919406375695
अच्छी प्रस्तुती...
जवाब देंहटाएंबढ़िया रचना
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