समकालीन कविता के परिदृश्य में सैकड़ों
नाम आवाजाही कर रहे हैं। वरिष्ठ पीढ़ी के बाद युवा पीढ़ी भी काफी हद तक साहित्यिक
यात्रा के कई पड़ाव पार कर चुकी है। इनके एक दम पीछे युवतर एवं नवोदित कवि पीढ़ी
समकालीन कविता की मशाल उठाए युवा पीढ़ी के दहलीज पर खड़ी है। एक नाम जो हिन्दी के साहित्याकाश में तेजी से अपनी चमक विखेर रहा है वह हैं सुमित वाजपेयी ' मध्यान्दिन ' ।
युवा कवि सुमित
वाजपेयी ' मध्यान्दिन '
...अभी हाल के वर्षो से कविताएँ भी
लिख रहे
हैं । सुमित ! एकदम नवोदित कवि हैं सुमित वाजपेयी और अभी हाल में उनका नया काव्य संग्रह " मीठी धूप सुनहरी छाया " छप कर
आया है । सुमित वाजपेयी अद्भुत जीवंत , गांव
- जन के कवि हैं उनके पास उनकी अपनी भाषा कविता कहन की सहज शैली है जिसमें कविता का लोक जीवन
महकता ही नहीं
अपितु जी उठता है आज ऐसी सहज जीवन - राग
की कविताओ की कमी है निश्चित रूप से सुमित की कविताएँ उस कमी को पूरा करती हैं जिससे कविता का लोक जीवंत हो
उठता है । प्रस्तुत
है ' मध्यान्दिन ' की कविताएं........
1-आहटे
आहटे का रही है
चारो तरफ से
नभ,धरती,आकाश से
होगी..... क्रांति क्रांति होगी,क्रांति होगी
हारेगा आतंक,ना बचेगा कोई संत-महंत
टूटेंगे गढ़ सारे
मंदिर,मस्जित,मूर्तियां,दरगाह सब
ज्ञान उपजेगा बुद्धि से
देखो....
देखो....
आहटे आ रही है
क्रांति होगी,क्रांति होगी
भर गया है क्रोध तन मन में
तन गयी है भृगुटिया
खेत की यह आत्मा है
मिट्टी की है यह पुकार
अब नहीं सहेगे
अत्याचार.....
हल उठाओ!
फावड़े,खुरपे,गड़ासे
काट डालो बंधनो को ........
बैल है प्यासे हमारे
बकरिया है उदास
भेड़ बन जाओ सभी
बस हल उठाओ
फावड़े,खुरपे,गड़ासे
देखो....
देखो....
आहटे आ रही है
क्रांति होगी,क्रांति होगी
पेड़ सब तो सो रहे हैं
जंगल बहुत उदास
कह कही है पागल हवाएँ
घास मैदानों की और जल बरसात का
ढोल की थाप का यह क्रोध है
अब नहीं सहेगे
जन-गण का विरोध
हल उठाओ!
फावड़े,खुरपे,गड़ासे
बचा लो तुम स्वतंत्रता को
छीन लो आकाश अपना
मेरे लोग है बीमार,भूखे
मर रहे है चौखटों पर रात दिन
मै कह रहा हूँ बस अब हल उठाओ
फर्जी विकास और अन्याय के विरुद्ध
देखो....
देखो....
आहटे आ रही हैं
क्रांति होगी,क्रांति होगी
आहटे का रही है
चारो तरफ से
नभ,धरती,आकाश से
होगी..... क्रांति क्रांति होगी,क्रांति होगी
हारेगा आतंक,ना बचेगा कोई संत-महंत
टूटेंगे गढ़ सारे
मंदिर,मस्जित,मूर्तियां,दरगाह सब
ज्ञान उपजेगा बुद्धि से
देखो....
देखो....
आहटे आ रही है
क्रांति होगी,क्रांति होगी
भर गया है क्रोध तन मन में
तन गयी है भृगुटिया
खेत की यह आत्मा है
मिट्टी की है यह पुकार
अब नहीं सहेगे
अत्याचार.....
हल उठाओ!
फावड़े,खुरपे,गड़ासे
काट डालो बंधनो को ........
बैल है प्यासे हमारे
बकरिया है उदास
भेड़ बन जाओ सभी
बस हल उठाओ
फावड़े,खुरपे,गड़ासे
देखो....
देखो....
आहटे आ रही है
क्रांति होगी,क्रांति होगी
पेड़ सब तो सो रहे हैं
जंगल बहुत उदास
कह कही है पागल हवाएँ
घास मैदानों की और जल बरसात का
ढोल की थाप का यह क्रोध है
अब नहीं सहेगे
जन-गण का विरोध
हल उठाओ!
फावड़े,खुरपे,गड़ासे
बचा लो तुम स्वतंत्रता को
छीन लो आकाश अपना
मेरे लोग है बीमार,भूखे
मर रहे है चौखटों पर रात दिन
मै कह रहा हूँ बस अब हल उठाओ
फर्जी विकास और अन्याय के विरुद्ध
देखो....
देखो....
आहटे आ रही हैं
क्रांति होगी,क्रांति होगी
2-लटका हुआ
चाँद
पीपल के पेड़ पर
लटका हुआ चाँद
आकाश के पूर्वी कोने पर
चितकबरे बादलों के बीच
आग की नदी में
डूबता - उतराता
बह रही है हवा
आधी रात को
बाँस की पत्तियों पर
चारों ओर बढ़ रहा है
सन्नाटे का पिसाच
तोड़ कर दीवार मेरी
मुस्कुराता है
लटका हुआ चांद
सीढियों के सहारे
और ऊँचा चढ़ रहा है
और बिखेर रहा है
शुभ्र चाँदनी मेरे टूटे हुए छप्पर पर।
संपर्क-
पीपल के पेड़ पर
लटका हुआ चाँद
आकाश के पूर्वी कोने पर
चितकबरे बादलों के बीच
आग की नदी में
डूबता - उतराता
बह रही है हवा
आधी रात को
बाँस की पत्तियों पर
चारों ओर बढ़ रहा है
सन्नाटे का पिसाच
तोड़ कर दीवार मेरी
मुस्कुराता है
लटका हुआ चांद
सीढियों के सहारे
और ऊँचा चढ़ रहा है
और बिखेर रहा है
शुभ्र चाँदनी मेरे टूटे हुए छप्पर पर।
संपर्क-
ग्राम-रजवापुर
पोस्ट-बरबतापुर (महोली)
जिला-सीतापुर-261141 (UP)
मोबाइल:09670100270
ई-मेल: sumitvajpey@gmail.com
पोस्ट-बरबतापुर (महोली)
जिला-सीतापुर-261141 (UP)
मोबाइल:09670100270
ई-मेल: sumitvajpey@gmail.com
बेहतरीन कविताएं ..बधाई....
जवाब देंहटाएंमुस्कुराता है
जवाब देंहटाएंलटका हुआ चांद
सीढियों के सहारे
और ऊँचा चढ़ रहा है
और बिखेर रहा है
शुभ्र चाँदनी मेरे टूटे हुए छप्पर पर।
बेहतरीन .....