संक्षिप्त परिचय
उत्तर प्रदेश में फतेहपुर के जमेनी नामक गांव में 18 जनवरी1981 को जन्में शैलेष गुप्त ‘वीर’ की राष्ट्रीय स्तर की विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं तथा संकलनों में गीत, ग़ज़ल, कविता, क्षणिका, हाइकू, दोहे, लघुकथा, आलेख, आलोचना एवं शोधपत्र आदि का प्रकाशन हो चुका है।
इन्होंने प्राचीन इतिहास एवं पुरातत्व विज्ञान में परास्नातक तथा पुरातत्व विज्ञान में पी-एच.डी भी किया है। बी.एड., एम.जे.एम.सी.(पत्रकारिता एवं जनसंचार) डिप्लोमा इन रसियन लैंग्वेज़, डिप्लोमा इन उर्दू लैंग्वेज़, ओरियन्टेशन कोर्स इन म्यूजियोलॉजी एण्ड कन्ज़र्वेशन में दक्षता के साथ शिक्षा प्राप्त की है।
इन्होंन गुफ़्तगू (त्रैमासिक), इलाहाबाद, तख़्तोताज (मासिक), इलाहाबाद एवं पुरवाई (वार्षिक)पत्रिकाओं में सक्रिय रहते हुए 2007 से अन्वेषी पत्रिका के संपादन के साथ- साथ ‘उन पलों में’ (रागात्मक कविता संकलन)‘आर-पार’ (नयी कविताओं का संकलन)का संपादन भी किया है।
इनको हिन्दी, अंग्रेजी, संस्कृत, रूसी, गुजराती, उर्दू तथा भोजपुरी भाषा में एकाधिकार प्राप्त है।ये मेरे अभिन्न मित्रों में से एक हैं और बहुत निवेदन के बाद एक कविता भेंजी है जिसको पोस्ट करते हुए मुझे बहुत खुशी हो रही है। आप सुधिजनों के बेबाक राय की हमें प्रतीक्षा रहेगी।
इन्होंने प्राचीन इतिहास एवं पुरातत्व विज्ञान में परास्नातक तथा पुरातत्व विज्ञान में पी-एच.डी भी किया है। बी.एड., एम.जे.एम.सी.(पत्रकारिता एवं जनसंचार) डिप्लोमा इन रसियन लैंग्वेज़, डिप्लोमा इन उर्दू लैंग्वेज़, ओरियन्टेशन कोर्स इन म्यूजियोलॉजी एण्ड कन्ज़र्वेशन में दक्षता के साथ शिक्षा प्राप्त की है।
इन्होंन गुफ़्तगू (त्रैमासिक), इलाहाबाद, तख़्तोताज (मासिक), इलाहाबाद एवं पुरवाई (वार्षिक)पत्रिकाओं में सक्रिय रहते हुए 2007 से अन्वेषी पत्रिका के संपादन के साथ- साथ ‘उन पलों में’ (रागात्मक कविता संकलन)‘आर-पार’ (नयी कविताओं का संकलन)का संपादन भी किया है।
इनको हिन्दी, अंग्रेजी, संस्कृत, रूसी, गुजराती, उर्दू तथा भोजपुरी भाषा में एकाधिकार प्राप्त है।ये मेरे अभिन्न मित्रों में से एक हैं और बहुत निवेदन के बाद एक कविता भेंजी है जिसको पोस्ट करते हुए मुझे बहुत खुशी हो रही है। आप सुधिजनों के बेबाक राय की हमें प्रतीक्षा रहेगी।
सम्प्रति : अध्यक्ष-‘अन्वेषी’, साहित्य एवं संस्कृति की प्रगतिशील संस्था, फतेहपुर।
शैलेष गुप्त ‘वीर’की कविता
वे और हम
1
वे आधुनिक हैं
क्योंकि उन्हें पसंद है
मूर का दर्शन,
इटैलियन फूड
और हालीवुड की हॉरर फ़िल्में।
वे आधुनिक हैं
क्योंकि उन्हें पसंद है
नाइटक्लबों में जाकर
कैबरे-डांस देखना
शैंपेन की बोतल खोलकर
जश्न मनाना।
वे आधुनिक हैं
क्योंकि उन्हें पसंद है
पीसा की झुकी मीनार,
टोरंटो का मौसम
और स्विटजरलैंड की ख़ूबसूरत वादियाँ।
वे आधुनिक हैं
क्योंकि उन्हें पसंद है
परिवार से विलग रहना,
विवाह-पूर्व सहवास
और शादी के बाद
आपसी रजामंदी से अलग रहना।
वे आधुनिक हैं
क्योंकि उन्हें पसंद है
बीवियों का बदलना
और बेटे की गर्लफेन्ड से
चक्कर चलाना।
वे आधुनिक हैं
क्योंकि उन्हें पसंद है
अन्तर्राष्ट्रीय ख़बरें/सिगरेट का धुआँ
और पेरिस की शराब।
वे सचमुच आधुनिक हैं
क्योंकि उन्हें पसंद है
वेस्टर्न कल्चर/वेस्टर्न लाइफस्टाइल
इसलिये उन्हें पसंद है
आधुनिक की बजाय
माडर्न कहलाना।
2
हम पिछड़े हैं
क्योंकि हमें पसंद है
आचार्य शंकर का अद्वैत वेदान्त,
पाव-भाजी
और बालीवुड की सामाजिक फ़िल्में।
हम पिछड़े हैं
क्योंकि हमें पसंद है
देर रात तक
अम्मा-बाबू के पैर मींजना
और बग़ैर शैम्पेन के ही
जश्न मना लेना।
हम पिछड़े हैं
क्योंकि हमें पसंद है
आगरे का ताज/कुल्लू का दशहरा
और ऊटी की प्राकृतिक छटा।
हम पिछड़े हैं
क्योंकि हमें पसंद है
संयुक्त परिवार/शादी के बाद बच्चे
और सात जन्मों के रिश्ते।
हम पिछड़े हैं
क्योंकि हमें पसंद है
जीवन भर/एक ही स्त्री के साथ रहना
और बहू के सर पर/पल्लू का रिवाज़।
हम पिछड़े हैं
क्योंकि हमें पसंद है
अन्तर्राष्ट्रीय ख़बरों के साथ
आंचलिक व देशी समाचार,
पान का बीड़ा
और ताज़े दही की लस्सी।
हम वाकई पिछड़े हैं
क्योंकि हमें पसंद है
भारतीय संस्कृति,
भारतीय आचार-विचार।
सम्पर्क& 24/18, राधानगर, फतेहपुर (उ.प्र.) - 212601
वार्तासूत्र - 9839942005, 8574006355
हम पिछड़े हैं
क्योंकि हमें पसंद है
आचार्य शंकर का अद्वैत वेदान्त,
पाव-भाजी
और बालीवुड की सामाजिक फ़िल्में।
हम पिछड़े हैं
क्योंकि हमें पसंद है
देर रात तक
अम्मा-बाबू के पैर मींजना
और बग़ैर शैम्पेन के ही
जश्न मना लेना।
हम पिछड़े हैं
क्योंकि हमें पसंद है
आगरे का ताज/कुल्लू का दशहरा
और ऊटी की प्राकृतिक छटा।
हम पिछड़े हैं
क्योंकि हमें पसंद है
संयुक्त परिवार/शादी के बाद बच्चे
और सात जन्मों के रिश्ते।
हम पिछड़े हैं
क्योंकि हमें पसंद है
जीवन भर/एक ही स्त्री के साथ रहना
और बहू के सर पर/पल्लू का रिवाज़।
हम पिछड़े हैं
क्योंकि हमें पसंद है
अन्तर्राष्ट्रीय ख़बरों के साथ
आंचलिक व देशी समाचार,
पान का बीड़ा
और ताज़े दही की लस्सी।
हम वाकई पिछड़े हैं
क्योंकि हमें पसंद है
भारतीय संस्कृति,
भारतीय आचार-विचार।
सम्पर्क& 24/18, राधानगर, फतेहपुर (उ.प्र.) - 212601
वार्तासूत्र - 9839942005, 8574006355