गुरुवार, 24 अक्टूबर 2019

बाल कविताएँ - अमरपाल सिंह ‘ आयुष्कर ’



      दैनिक जागरण, हिन्दुस्तान ,कादम्बनी,वागर्थ ,बया ,इरावती प्रतिलिपि डॉट कॉम , सिताबदियारा ,पुरवाई ,हमरंग आदि में  रचनाएँ प्रकाशित
2001  में  बालकन जी बारी संस्था  द्वारा राष्ट्रीय  युवा कवि पुरस्कार
2003   में बालकन जी बारी संस्था   द्वारा बाल -प्रतिभा सम्मान
आकाशवाणी इलाहाबाद  से कविता , कहानी  प्रसारित
‘ परिनिर्णय ’  कविता शलभ  संस्था इलाहाबाद  द्वारा चयनित

1- दादी



चौराहे पर रखे दीपक की बाती है दादी

गुजरने वालों के दुःख दर्द

खुशियों से छलके आंसुओं को समेट

टिमटिमाती

घायल गौरैया , दादी के सर्द हाथों में

प्यार की गर्माहट पा फिर से उड़ान भर जाती

हर जख्म का मरहम दादी

सूखते बिरवे को झुकी कमर से

रोज नहलाती

प्यार दे दुलराती

हरा-भरा करती उसकी सूखती काया

झूमती पत्तियां लहराती

फूलों संग मुस्काती दादी

सबके जीवन में रंग भर जाती |

2- आओ मिलकर पेड़ लगायें


आओ मिलकर पेड़ लगायें

हरा भरा परिवेश बनायें

चारों ओर स्वच्छता होगी

महकेंगी फिर सभी दिशाएं

आओ राधा ,आओ जॉन

ये लो नीबू ,ये लो आम

इन्हें रोप दो ,पानी दे दो

मुरझाये ना रखना ध्यान

खट्टे –मीठे फल देता है

और हवा मतवाली

सब मिलकर करते रहना

इन बागों की रखवाली

सबको हम ये आज बताएं

इनसे हैं कितनी सुविधाएं

आओ मिलकर पेड़ लगायें |
   

3 - मुन्नी



बजते ही छुट्टी का घंटा ,मुन्नी सरपट भागी

ना दायें ना बाएं देखा, ना आगे ना पीछे

सोचा जल्दी घर जा पहुंचे ,दूध मलाई खींचे

इसी सोच में भाग रही थी ,वह गीले मैदान से

गया फिसल जब पैर

गिरी फिर मुन्नी वहीँ धड़ाम से |



संपर्क सूत्र-
ग्राम- खेमीपुर, अशोकपुर , नवाबगंज जिला गोंडा , उत्तर - प्रदेश
मोबाईल न. 8826957462     mail-  singh.amarpal101@gmail.com

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें