शुक्रवार, 28 मार्च 2014

वो खपरैल की छप्पर वाला घर था



          09 अक्टूबर 1964  को छत्तीसगढ़ के जांजगीर में जन्में अनवर सुहैल जी के अब तक दो उपन्यास , तीन कथा संग्रह और एक कविता संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं। कोल इण्डिया लिमिटेड की एक भूमिगत खदान में पेशे से वरिष्ठ खान प्रबंधक हैं। संकेत नामक लघुपत्रिका का सम्पादन भी कर रहे हैं।

 









अनवर सुहैल 


प्रस्तुत है यहां उनकी एक कविता


वो खपरैल की छप्पर वाला घर था
जिसकी ऊबड़-खाबड़ दीवारों पर
बड़े ध्यान से देखो तो
उग आया करते थे मुकुटधारी राजा
कोई महल या किला या कि राक्षस के मुंह
यही तो हमारे कल्पनाशीलता की पाठशाला

वो खपरैल की छप्पर वाला घर था
गर्मियों में लू से बचाने के लिए
बेड दिया करती थीं अम्मी कमरे में
जहां रहती थी ठंडक और अँधेरा
छप्पर के असंख्य छिद्रों से
सूरज की किरणों के छोटे-बड़े हथ-गोले
अंधियारे के साम्राज्य को पराजित कर देते

वो खपरैल की छप्पर वाला घर था
जहां आत्मीयता की आंच और
स्नेह के सेंक से दहकता था चूल्हा
और रोटियाँ बनाती अम्मी का चेहरा
आंच से ताम्बई दमकता था
चूल्हे का जलना
किसी उत्सव से कम नही हुआ करता था
हम किसी कैम्प फायर की तरह
चूल्हे के इर्द गिर्द बैठते
निहारा करते मंत्रमुग्ध अम्मी का मुख
उनके चेहरे पर दीखता श्रद्धा, समर्पण का ओज
इतनी तल्लीन अम्मी जैसे कर रही हों इबादत
बेशक, अब्बा को मस्जिद जाकर खुदा मिलता होगा
और अम्मी को रसोई में

वो खपरैल की छप्पर वाला घर था
जहां आस-पड़ोस में हो जाती थीं बातें
अपने घर में बैठे-बैठे
इतने जुड़े थे तब घर इक-दूजे से
कि चूल्हे के अंगार खपरैल में बैठकर
पहुँच जाते थे पडोसी के चूल्हे में
सांझी थी आग तबए सांझा था चूल्हा
सांझे थे दुःख और सांझे त्यौहार थे

वो खपरैल की छप्पर वाला घर था
जहां मेहमान आते तो फिजा बदल जाती
मेहमान जाने को कहते तो अम्मी रोक लेतीं..

 जाने वाले को किसने रोका
वैसे आज बाजार-दिन है

 मछली ताजा मिलेगी
मेरे हाथ की मछली खाकर कल चले जाना
मेहमानों को रोके रखने के
बहुत बहाने जानती थीं अम्मी
जबकि घर में सुख के उतने साधन न थे
लेकिन दिल में ख़ुलूस था
मेहमान को साथ देने के लिए पर्याप्त समय था

ये खपरैल की छप्पर वाला घर नही
नगर या कालोनी का मकान है
जहां है हर सुख-सुविधा
लेकिन जाने क्यों ता.उम्र इंसान
गुजारता दिन किसी किरायेदार की तरह
जहां झांकता नही पडोसी कभी सुख-दुःख में
तभी तो डबल-तिबल दरवाजेए ताले
गार्ड और सीसी टीवी कैमरे के बावजूद
हमें सताता रहता हरदम
अपरिचय, संदेह, आशंका और डर


                                         ........अनवर सुहैल


सम्पर्क: टाईप 4/3, ऑफीसर्स कॉलोनी, बिजुरी

          जिला अनूपपुर .प्र.484440

                फोन 09907978108

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