मंगलवार, 15 जुलाई 2014

शिरोमणि महतो की कविताएं






हम झारखण्ड के युवा कवि शिरोमणि महतो की कविताएं प्रकाशि कर रहे हैं। झारखण्ड में जीवन&यापन करते हुए वहाँ की जनपदीय सोच को अभिव्यक्त करना जोखिम भरा काम है। हमने शिरोमणि महतो की उन कविताओं को तरजीह दी है। जिसमें उनका जनपद] उनका परिवेश  मुखर होता है। बेशक अपने परिवेश के शिरोमणि महतो अच्छे प्रवक्ता हैं। इस उत्तर आधुनिक समय में झारखण्ड और वहां की चिन्ताएं विश्व&पटल पर रखने का कौशल शिरोमणि महतो में है। वह बड़ी बारीकी से आस&पास विचरण करते समय की चुनौतियों को महसूस करते हैं और अपनी जिम्मेदारियां समझते हैं कि ऐसे कठिन समय में एक लोकधर्मी कवि की क्या भूमिका होनी चाहिएA



शिरोमणि महतो की कविताएं&







 1- भावजें

भावजें बहुत शीलवती होती हैं
उनके व्यवहार से छलकता
शीतलता का तरह प्रवाह
वे हमें देखते ही
काढ़ लेती हैं.
लम्बा-सा घूंघट
और वे लगती बिल्कुल छुईमुई की तरह
झुकी डालियों की तरह
लोग कहते-
भावजें शुभ होती हैं
भैसुरों के लिए
अगर राह चलते
उनका मुख दिख जाये
तो समझो-यात्रा सफल !
इनसे सटी हुई
किसी चीज को
स्पर्श कर जाने से
हम छुआ जाते हैं
फिर हमारे सर पर
छिड़का जाता है
सोनापानी या गंगाजल
शायद रिश्तों में
पवित्रता की शुरूआत
यहीं से हुई हो
माँ-और बहन के रिश्तों से
अधिक महान होता
यह संबंध !
भावजों का सिर
हमेशा झुका रहता.
इनके ही सर पर टिका होता है
हमारे परिवार के
अभिमान का आकाश!


2- अखरा


गाँव की छाती में
होता-अखरा
जहाँ करमा में
लगता है-गहदम झूमर
औरतों के लिए
सबसे सुरक्षित स्वतंत्र
स्थान है-अखरा
धरती की आंत
जहाँ पुरूषों का दम्भ
पच जाता है !
जहाँ चौखट से बाहर
औरतें खोल पाती हैं
अपने पाँव और
अपनी आत्मा के अतल को
औरतें अखरा में
खुलकर नाचती है
पांवों के थके जाने तक
आत्मा के भर जाने तक !
जब पहली बार
टूटी होगी पुरूषों की अकड़
दरकी होगी दम्भ की दीवारें
तब जाके बना होगा
धरती की छाती में
अखरा, आत्मा की तरह!
जिसमें स्त्रियों के पांव
थिरके होंगे धड़कन की तरह
और स्त्रियों ने लिया होगा
खुली हवा में सांस
और मुक्त आकाश के नीचे
मुक्त कंठ से गाया होगा
मुक्ति का गान!।


संपर्क.  नावाडीह बोकारो झारखण्ड
9931552982


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