रविवार, 26 अप्रैल 2015

उमा शंकर मिश्र की कहानी : नेताजी



       


        तुम लोगों की संख्या तेजी से घट रही हैं जबकि तुम लोगों पर सरकार करोड़ों रू0 खर्च कर रही है।पंक्षियों के झुंड को देखकर नेताजी ने कहा। हम पंक्षी वृक्षों पर अपना आवास बना लेते हैं आसमान ही हम लोगों का उडा़न क्षेत्र है हम लोग पृथ्वी के भार नहीं हैं लेकिन आप इंसानों की संख्या तेजी से बढ़ रही है।आप लोग सच पूछिये तो पृथ्वी के भार हैं ।आप लोगों को कम करने के लिए अरबों रू0 फैमिली प्लानिग पर खर्च हो रहे हैं आगे उड़ते हुए पंक्षी ने कहा।


       अब झुंड के पक्षी उड़ान भर रहे थे और नेताजी अपना सिर सहला रहे थे।
चहचहाते हुए पक्षियों को देखकर नेताजी ने कहा।
बिना किसी मूल्य के तुम लोग शोर मचा रहे हो। हम लोग बिना पैसे के संसद में प्रश्न भी नहीं पूछते।

       चहचहाने से प्रकृति खूबसूरत होती है ।उस पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। लेकिन आप लोगों की बातें टेप होती है।जांच होती है और करोड़ों की धनराशि उस पर खर्च होती है।आगे उड़ते हुए पक्षी ने कहा। अब पक्षी आसमान में उन्मुक्त उड़ान भर रहे थे और नेताजी आपनी कार में बैठने की तैयारी में थे।


       अपने ड्राइंग रूम में पक्षी को देखकर नेताजी  क्रोध में आ गये ।क्यों नहीं अपना आवास बना लेते हो। नेताजी ने कहा।
वृक्ष हम लोगों का आवास है और सारे जंगल आप जैसे लोगों के  संरक्षण में कट रहे हैं फिर आवास कहां बनेगा पक्षी ने कहा। अब पक्षी सामने के वृक्ष पर चहचहा रहे थे और नेताजी अपने मातहत पर गुस्सा उतार रहे थे।

सम्पर्क:  उमा शंकर मिश्र
          ऑडिटर श्रम मन्त्रालय
          भारत सरकार
          वाराणसी मोबा0-8005303398


1 टिप्पणी: