रविवार, 13 सितंबर 2015

शैलेय की चार कविताएँ


कविमित्र खेमकरण सोमनके माध्यम से शैलेय  की ये कविताएं प्राप्त हुई हैं। शैलेय को इनकी छोटी छोटी कविताओं के लिए जाना जाता है। इधर के कुछ वर्षों में इनकी कई पुस्तकें प्रकाशित और चर्चित भी हुई हैं।
 


शैलेय की चार कविताएँ
 1.प्लीज

क्या कहा
एक मछली
सारे तालाब को गंदला कर देती है?
लौट आना पड़ता है??

निरी मूर्खता

आओ
जरा इधर आओ
मेरे पास

कभी सूरज को देखा है?
अकेला ही
सारे संसार में उजाला करता है

इतना ही नहीं
रात के दौरान भी
वह
चाँद सितारों की टीम भेज देता है
वैसे भी
कैसी भी मछली हो
नदी तो कभी गंदा नहीं होती

पोखर बनाकर
पानी न सड़ाओ!
मछली को
अपने बहाव में बहने दो प्लीज!

हाँ,
शिकार का इतना ही शौक है अगर
तो कितने साँप हैं
जहर भी मिटेगा
कुछ मांस भी मिलेगा!!


 2. संस्कार

जो छोड़ता ही जाता है अपनी
धरती
न चाहते हुए भी
डूब जाता है समुद्र में

संभव है
भागमभाग में ही उखड़ जाए
दम

इसलिए
जब कभी जान पर बन आए
आदमी को
आत्मा भिड़ा देनी चाहिए

वैसे भी
आप तो मानते ही हैं कि
आत्मा अमर है
अजर है सदैव ही

फिर
बच्चे भी हमें देख रहे हैं कि
अपनी जमीन पर
आखिर कैसे खड़ा रहा जाता है।

 3.हमेशा ही

लोग कहते हैं/रात गई
बात गई

लेकिन
मैं गाता हूँ
जैसा कि पाता हूँ
हमेशा ही/रात ढह जाती है
बात रह जाती है।

 4.घर

दो आदमी हों
या कि सौ देश
कभी-कभी बहस
झगड़े तक भी पहुँच जाती है
युद्ध हो जाते हैं
नरसंहार..........

दुनिया में
केवल घर ही है
जो
रूठे हुए की भी चिन्ता करता है।


सम्पर्क- 
शैलेय
बीटा-24, ऑमैक्स, रूद्रपुर, जिला-ऊधम सिंह नगर, उत्तराखण्ड-263153
मो0-09760971225


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