उत्तराखण्ड के टिहरी गढ़वाल में जन्में बी0 ए0 की पढ़ाई कर रहे प्रदीप लाल आर्य ने इधर कुछ कविताएं लिखने की कोशिश की है। एकाध पत्र -पत्रिकाओं में छपने के बाद पहली बार किसी ब्लाग में । स्वागत है इस युवा स्वर का।
1- बेटियों का भी हो सम्मान
जग में फैलेगा जब ज्ञान
होगा तभी बेटियों का सम्मान
जो रखते बेटों से लगाव
और बेटियों को देते घाव
बेटा यदि घर लौटे देर
बोलेंगे बेटा है शेर
दुनियाँ की है कैसी सोच
और बेटियों के सपने नोच
बेटियां होती हैं नन्हीं जान
हंसती -खेलती , सुन्दर संतान
अगर कभी हो जाती देर
प्रश्नों के रख देंगे ढेर
बेटों को देते सम्मान
फिर बेटियों का क्यों अपमान ?
2- क्यों करते पेड़ों का नाश
क्यों करते पेड़ों का नाश
इन्हीं से मिलती हमको सांस
करोगे सब पेड़ों से प्यार
यही हमारे सच्चे यार
क्यों इनसे अपना मुख मोड़ा
पेड़ों को हमने क्यों तोड़ा
पेड़ हमें देते हैं जीवन
फिर क्यों छिनते इनसे यौवन
जब मानव को है यह ज्ञान
काम करते फिर क्यों अज्ञान
पेड़ों पर न हथियार चलायें
अपनी मौत खुद क्यों बुलायें
पेड़ों पर है निर्भर जीवन
फिर क्यों छिनते इनसे यौवन
पेड़ों के कारण मिलता पानी
इन्हें काटने की फिर क्यों ठानी
पेड़ तो हैं पृथ्वी का गहना
न काटो इन्हें मानो कहना
इनको देख के मन खुश होता
फिर क्यों इनको दुश्मन माने
पेड़ हमें देते हैं छाया
यही तो है प्रकृति की माया
पेड़ रोकते हैं प्रदूषण
फिर क्यों करते इनका शोषण
काटोगे तो हर्ज हमारा
इन्हें बचाना फर्ज हमारा।
संपर्क-
प्रदीप लाल आर्य
राजकीय महाविद्यालय , चन्द्रबदनी , नैखरी टिहरी गढ़वाल , उत्तराखण्ड
Email- parya0497@gmail. Com
Mo-9756461704
प्रयास अच्छा है। जारी रहे।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद मिश्रा जी
हटाएंसुंदर सृजन आपकी कलम से, लिखते रहो।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद जयाड़ा सर जी आप जैसे
हटाएंविद्वान लोगों की प्रेरणा स्वरुप आशीर्वाद है...
बहुत ही सुन्दर रचनाएं
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद मुकेश डडवाल जी..
हटाएंसर्व प्रथम बहुत बहुत आभार आरसी चौहान सर जी...
जवाब देंहटाएंजो आपने यह अवसर देकर यह मौका मुझे सौंपा...
और आप सभी महानु भावों का तहे दिल से एक बार फिर से आभार व्यक्त करता हुं
kya kahne ..badhai..
जवाब देंहटाएंधन्यवाद बागड़ी जी...
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