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पब्लिकेशंन प्रा.लि. से प्रकाशित कविता संग्रह “नमि मेरी आँखें” मारीशस के यशस्वी कवि
राज हीरामन का यह दसवाँ कविता संग्रह अभी हाल में ही प्रकाशित होकर आया है. इससे
पूर्व आपके नौ कविता संग्रह (1) कविताएं जो छप न सकीं (2)छपकर रहीं कविताएं (3) चुभते फ़ूल(4) हंसते कांटॆ (5)अंधेरे का उजाला (6) उजाले का अंधेरा (7) धरती तले अंधेरा (8) एक जमीन आसमान पर (9) नेहा की निधि प्रकाशित हो चुकी हैं. “नमि मेरी आँखें”. सद्यः प्रकाशित है..
इस कविता संग्रह में
कुल 43 कविताएँ
प्रकाशित है, जिसमें अधिकांश कविताएं वियोग को लेकर लिखी गई हैं. कवि ने संग्रह को
जो शीर्षक दिया है तथा अपने वक्तव्य में इस बात का उल्लेख भी किया है कि ये कविताएं
उनकी दिवंगत पत्नि श्रीमती “नमि” की विरह पीडा में लिखी गई हैं. उन्हें केन्द्र में रखकर कवि ने
अपने जज्बातों को उजागर करने का उपक्रम किया है. जिन्हें मैंने काव्य-भाषा,
काव्य-अवधारणा, आदि को लेकर अपने विवेक के आधार पर कुछ वर्गों में बांटने का
उपक्रम किया है. यथा-(i)स्वप्न
बुनती कविताएँ और उसकी छायाओं को लेकर लिखी गईं कविताएं –आज, आए मौसम जाए मौसम,
साथ संग, याद आती हो, रे तकिया, अमरत्व, शांति दूत, तमाम परिवर्तन और उतार-चढाव,
तथा पेबंद पे पेबंद
(ii) रागात्मक संबंधों को लेकर बुनी कविताओं में –कर ले श्रृंगार
सखी, सपने में आई थीं तुम, कहीं, टूटा पर झुका नहीं. हौले-हौले, अर्सों का प्यार
(iii) वियोग को लेकर कविताओं में- ख्वाब बुने, साधना, कुछ आंसू, जख्मों पर पैबंद,
कितना अच्छा था, सखी कहकर जाती, दर्दे घाव का फ़ूल, के लिए, आ जाओ तुम ,अलविदा, बोलती
लाशें, मेरा दर्द, अलग रास्ते
(iv) प्रेम में डूबे मन को लेकर लिखी गईं कविताओं में- मत पूछ. एक गीत गा
रहा हूँ. शब्द आदि
( v) बादल को उमडता-धुमडता देखकर लिखी कविताएं- जा रे बारिश, आ रे बादल,
बादल बन के आउंगा, रूठकर आया हूँ, बादल घोडा, बारिश की रात
(vi) अन्य में- बिकाऊ है देश, किसमें कितना दम है, दुनिया गोल है, गुरु के दोहे, दिया
हूँ मैं, हां मैं दर्द बेचता हूँ, आ रे पंछी, रॊटी और वोट, दिन शाम हुआ, बिम्ब,
सूरज जेल में, आँखें, लगा आग पूंछ में, सूरज खोता नहीं, नीलकण्ठ, तथा चाचा
रामगुलाम. आदि कविताओं को भी वर्गीकृत किया जा सकता है, विविधताओं से
भरे इस संग्रह के लिए लेखक साधुवाद का पात्र है. संग्रह में वर्णित कविताओं को
पढते हुए कहा जा सकता है कि-
कवि के भीतर मौजूद
व्याग्रता, व्याकुलता और अधीरता के बावजूद भी ध्यान, मनन, चिंतन, धीरता, मंथरता और
गंभीरता के साथ उनकी कविता ज्यादा दिखाई देती है. इन कविताओं में प्रेम की मधुर
आँच है, प्रणय की उष्मा है, और प्रेम का लौकिक सौंदर्य है, जो देश और दुनियां की
सीमाएं स्वीकार नहीं करता. निश्चित ही कहा जा सकता है कि आपका प्रेम असीम और
निश्छल रहा है. कवि ने अपने रागात्मक संबंधों को लेकर एक काव्यात्मक दुनिया
निर्मित करते हुए अपने दुख-सुख, आशा-निराशा, हर्ष-विषाद, संकल्प-स्मृतियों को
अलग-अलग कोणॊं से उल्लेखित किया है. इन कविताओं को पढते हुए यह भी महसूस होता है
कि तमाम तरह की ऎन्द्रिकता के बावजूद उनमें नारी के प्रति असीम सम्मान का भाव रहा है.
कवि ने अलक्षित रह
जाने वाले प्रसंगों और भावों को पकडने की, एवं अपने आसपास के जीवन और जीवानुभवों
में धंसते हुए उन तमाम बिंदुओं को पकडने की भी कोशिश की है. कविताएं तो कई बार
डायरी के पन्नों की तरह पर्सनल बातों को उजागर करती प्रतीत होती हैं. पति-पत्नि के
संबंधों पर आधारित कविताओं में एक “ताप” देखा जा सकता है, तो
कहीं आलोचनात्मक टीपें भी हैं.
कवि अपने छॊटॆ-छॊटॆ
निजी दुखों के बीच रहते हुए काव्य संभावनाओं का सफ़रनामा लिखने में उसका आत्मगत
संसार बार-बार व्यक्त होता है. और उसने एक सचेत कवि की तरह अपने समय के सत्य को
अपनी आँखों से देखने का और बतलाने का रास्ता चुना.कई छॊटी-छॊटी अन्य रचनाएं भी
संग्रह में अपना विशेष स्थान बनाते हुए दर्ज हुई हैं,जिनकी गूंज देर तक मन में बनी
रहती है.
संकलन की कविताएं राज हीरामन के रचनाकार के आत्म का
पारदर्शी प्रतिरूप है. छ्ल-छद्म, दिखावेपान और सारी बनावट से दूर, लाभ, लोभ वाली
आज की खुदगर्ज दुनिया में, एक सरल, सहज,निष्कुंठ, निर्मल मन से हमारा सादर अभिवादन.
पुस्तक समीक्षा : नमि मेरी आँखें कवि- राज हीरामन
संपर्क-
103, कावेरी नगर,
छिन्दवाडा(म.प्र.) 480001
मोबा0-09424356400 (संयोजक म.प्र.राष्ट्रभाषा प्रचार समिति)
छिन्दवाडा
बहुत सुंदर राज.हीरामन जी....
जवाब देंहटाएंअच्छा प्रयास है चौहान साहब बधाई ..
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