मध्य प्रदेश के मुरैना जिला में 10 जनवरी 1985 को जन्में अशोक बाबू माहौर का इधर रचनाकर्म लगातार जारी है। अब तक इनकी रचनाएं रचनाकार, स्वर्गविभा, हिन्दीकुंज, अनहद कृति आदि में प्रकाशित हो चुकी हैं।
ई.पत्रिका
अनहद कृति की तरफ से विशेष मान्यता सम्मान 2014.2015 से अलंकृति । प्रस्तुत है इनकी एक कविता किसे मानूँ।
अशोक
बाबू माहौर की कविता
किसे मानूँ
खड़े होकर
चलना
कब सीखा
कब गिरना,फिसलना
किसने उंगली थामी थीं
मेरी नन्ही
किसने रुलाया
मुझे
किसने हँसाया,
पूछता हूँ
खुद से
रात में
घनेरी रात में
आसमान नीला
सूरज चमकता
किसने कहा था
मुझसे
ये हैं चंदा मामा
लोरियाँ सुनाकर
सुलाया किसने
किसने बालों को सँवारा,
पूछता हूँ
खुद से
रात में
घनेरी रात में
टूटकर विखरने से पहले
संभाला था मुझे
पाठ पढ़ाया था
जीवन का
किसे मानूँ
सहारा अपना
ईश या माता
या पिता को
या सहयोग सबका,
पूछता हूँ
खुद से
रात में
घनेरी रात में ।
संपर्क-
कदमन का पुरा,तहसील-अम्बाह,
जिला-मुरैना
(मध्य प्रदेश) 476111
मो-09584414669
सादगी और संवेदनाओं से भरी कविता.. बधाई ..
जवाब देंहटाएंअच्छी कविता.. बधाई ..
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