इस नवोदित कवि की कविता का कच्चापन एवं कसैलापन आगे मीठे
संभावनाओं से भरा है ऐसा मुझे महसूस हो रहा है। तो पढ़ते हैं आज मुकेश कुमार ऋषि वर्मा की कविता -
प्रकाशन - आजादी को खोना ना, संघर्ष पथ (काव्य संग्रह)
रूचियाँ - लेखन, अभिनय, पत्रकारिता, पेंटिंग आदि
सदस्य व जिला अध्यक्ष - मीडिया फोरम ऑफ इंडिया,
मीडिया पार्टनर - एकलव्य फिल्मस एण्ड टेलीविजन, मुंबई।
मुकेश कुमार ऋषि वर्मा की कविता –
चिड़िया
बिजली के नंगे तारों से,
चिड़िया धोखा खा जाती,
गलती से चोंच भिड़ा जाती |
करंट खाकर मर जाती ||
कौन उसे यह बात बताये,
नंगे तारों पर न चोंच लड़ाये,
पर वो बेचारी समझ न पाये |
चिड़िया जाये तो कहाँ जाये ||
पेड़ बचे अब बस थोड़े से,
उड़ान की थकान से थककर,
बिजली के तारों पर विश्राम करे |
अपनों से प्यार भरी दो बातें करे ||
झट करंट दोनों में दौड़ पड़े,
बड़ी दु:खद घटना घट जाती,
वैज्ञानिकजी कोई अविष्कार करो!
नन्हीं-नन्हीं चिड़ियों का संकट हरो ||
संपर्क -
मुकेश कुमार ऋषि वर्मा
मुकेश कुमार ऋषि वर्मा
ग्राम रिहावली, डाक तारौली गूजर,
फतेहाबाद, आगरा, 283111
मो. 9627912535, 9927809853
ईमेल - mukesh123idea@gmail.com
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