मंगलवार, 28 अप्रैल 2020

चिड़ियों का संकट - मुकेश कुमार ऋषि वर्मा



 इस नवोदित कवि की कविता का कच्चापन एवं कसैलापन आगे मीठे संभावनाओं से भरा है ऐसा मुझे महसूस हो रहा है। तो पढ़ते हैं आज मुकेश कुमार ऋषि वर्मा की कविता - प्रकाशन - आजादी को खोना ना, संघर्ष पथ (काव्य संग्रह) रूचियाँ - लेखन, अभिनय, पत्रकारिता, पेंटिंग आदि सदस्य जिला अध्यक्ष - मीडिया फोरम ऑफ इंडिया, मीडिया पार्टनर - एकलव्य फिल्मस एण्ड टेलीविजन, मुंबई।

मुकेश कुमार ऋषि वर्मा की कविता

चिड़िया
बिजली के नंगे तारों से
चिड़िया धोखा खा जाती
गलती से चोंच भिड़ा जाती |
करंट खाकर मर जाती ||

कौन उसे यह बात बताये
नंगे तारों पर न चोंच लड़ाये
पर वो बेचारी समझ न पाये |
चिड़िया जाये तो कहाँ जाये ||

पेड़ बचे अब बस थोड़े से
उड़ान की थकान से थककर
बिजली के तारों पर विश्राम करे |
अपनों से प्यार भरी दो बातें करे ||

झट करंट दोनों में दौड़ पड़े
बड़ी दु:खद घटना घट जाती
वैज्ञानिकजी कोई अविष्कार करो! 
नन्हीं-नन्हीं चिड़ियों का संकट हरो ||

संपर्क -
मुकेश कुमार ऋषि वर्मा 
ग्राम रिहावली, डाक तारौली गूजर
फतेहाबाद, आगरा, 283111
मो. 9627912535, 9927809853

ईमेल - mukesh123idea@gmail.com


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