बुधवार, 23 सितंबर 2020

बृजेश कुमार अग्निहोत्री के दोहे

 

 

            बृजेश कुमार अग्निहोत्री 


लेखन-हाइकु, क्षणिका, दोहा, कुण्डलियाँ, मुक्तक, गीतकविता
संस्मरण, कहानियाँसामयिक लेख इत्यादि l

प्रकाशन -काव्य रंगोली, मधुराक्षर, अन्वेषी, शव्दगंगा, विन्दु में सिंधु, फतेहपुर जनपद के हाइकुकार, शव्द-शव्द क्षणबोध, पथविकास आदिक पत्रिकाओं एवं संकलनों सहित अनेक राष्ट्रीय पत्र पत्रिकाओं में
उत्तराखंड सरकार द्वारा आपदा के समय अतुल्य सेवा हेतु सम्मानित 
काव्य रंगोली द्वारा साहित्य के क्षेत्र में काव्य भूषण सम्मान 
सम्प्रति-सामान्य आरक्षित अभियंता बल (ग्रेफ) में सेवारत l

बृजेश कुमार अग्निहोत्री के दोहे

 

पनघट सूने हो गए, पोखर हुए उदास l

बैठ नवलकवि ढूँढ़ते, शहरों में मधुमास ll

 

उस निरीह की जान का, किसको रहा खयाल l

आपस में लड़ते रहे, झटका और हलाल ll

 

चाह रही ईशत्व की, करनी बधिक कराल l

बैठे बहशी भेड़िये, पहन संत की खाल ll

 

मुक्त दरिंदे बाँटते, दया न्याय की भीख l

आँगन की किलकारियाँ, बन सकती हैं चीख ll

 

संपर्क सूत्र- 
खरौली, पोस्ट-मिराई,  
जनपद-फतेहपुर, पिन-212665
मोबाईल न. 07905411920  

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